राजस्थान की राजनीति में बीजेपी के वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा एक पहेली बन गया है, जिसे कोई सुलझा नहीं पा रहा है। किरोड़ी लाल के इस्तीफे को लेकर हर दिन एक नया मोड़ सामने आ रहा है। हाल ही में उन्होंने भजनलाल सरकार की कैबिनेट बैठक में भाग लेकर सियासी हलचल मचा दी थी। इसके बाद, सोमवार को उन्होंने एक और बयान दिया, जिसमें उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के बयान का खंडन किया।
राठौड़ ने कहा था कि किरोड़ी लाल मीणा पार्टी के साथ हैं और उनके विभाग की कई फाइलें निकल रही हैं। इस पर किरोड़ी लाल ने साफ कहा कि उनका इस्तीफा बरकरार है, और वह कोई फाइलें नहीं देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं मन से मंत्री पद से इस्तीफा दे चुका हूं।”
सोमवार को बीजेपी मुख्यालय पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में किरोड़ी लाल ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वह अपने इस्तीफे पर कायम हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखित इस्तीफा सौंप दिया है और फिर से निवेदन किया कि उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाए। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए प्रदेश अध्यक्ष के बयान का खंडन किया और कहा कि वह कोई फाइलें नहीं निकाल रहे हैं। अगर कोई कह रहा है कि वह सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, तो यह गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्तीफा वापस लेने का उनका कोई इरादा नहीं है।
किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा अब एक अनसुलझी पहेली बन चुका है। राजनीतिक विश्लेषक भी इस उलझन को सुलझा नहीं पा रहे हैं। एक तरफ किरोड़ी कई बार सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, दूसरी ओर वह मंत्री पद के अधिकार से विभागीय पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से मांगें कर रहे हैं। इस द्वंद्व को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा जारी है। हाल ही में सवाई माधोपुर को कोटा संभाग में शामिल करने की मांग पर उन्होंने मंत्री पद के तहत सीएम भजनलाल को पत्र लिखा था, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था।