राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कोरोना व अन्य बीमारी से परिवार के मुखिया व उसकी पत्नी दोनों की मृत्यु हो जाने पर अनाथ हुए बच्चों की देखरेख के बारे में जिला कलक्टर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों, सीएमएचओ व अन्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों के अनुसार चिकित्सा संस्थानों में भर्ती होने वाले परिवार (18 वर्ष से कम आयु के बच्चों सहित) के माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु हो जाने के कारण अनाथ होने वाले बच्चों की देखभाल की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी।
इस संदर्भ में प्रत्येक जिला स्तर व चिकित्सा संस्थानों पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, मेडिकल कॉलेज में अधीक्षक, जिला एवं उपजिला अस्पताल पर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और प्रत्येक चिकित्सा संस्थान (सीएचसी या पीएचसी) पर खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी एक-एक चिकित्सक को मनोनीत करेंगे।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा ने बताया कि चिकित्सा संस्थानों में ये मनोनीत चिकित्सक अनाथ हुए बच्चों की सूचना तत्काल चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 या अधीक्षक राजकीय सम्प्रेक्षण, किशोर गृह या बालिका गृह या शिशु गृह या सहायक निदेशक-जिला बाल अधिकारिकता संरक्षण इकाई, बाल अधिकारिकता विभाग को उपलब्ध करवाएंगे।
प्रत्येक चिकित्सा संस्थानों पर भर्ती होने वाले परिवार में अभिभावकों की मृत्यु हो जाने पर बच्चे को स्थानान्तरित किए जाने वाले व्यक्ति के बारे में सूचना (नाम, बच्चों से सम्बन्ध, पता, दूरभाष न.) के साथ बच्चों के भर्ती टिकट में अवश्य सम्मिलित किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक चिकित्सा संस्थान में अनाथ होने वाले बच्चों का नाम व विवरण प्रत्येक चिकित्सा संस्थान के नोटिस बोर्ड पर अंकित किया जाए व प्रतिदिन अपडेट किया जाए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि प्रत्येक चिकित्सा संस्थान के प्रमुख प्रवेश द्वारों व मुख्य स्थानों पर चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098, अधीक्षक राजकीय सम्प्रेक्षण, किशोर गृह या बालिका गृह, शिशु गृह का नाम व दूरभाष नंबर एवं सहायक निदेशक- जिला बाल अधिकारिकता संरक्षण इकाई, बाल अधिकारिकता विभाग का नाम व दूरभाष नंबर अवश्य अंकित किया जाए।