जयपुर। राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर राजस्थान में कांग्रेसी विधायकों की बाड़ाबंदी शुरू हो गई है। विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते कांग्रेस की ओर से एसीबी में शिकायत भी की गई है। कांग्रेस को डर सता रहा है कि कर्नाटक, मध्यप्रदेश और गुजरात की तर्ज पर यहां भी कांग्रेसी विधायकों और समर्थन देने वाले विधायकों की खरीद-फरोख्त न शुरू हो जाए।
सूत्रों का कहना है कि एक बड़ा पॉलिटिकल फंड राजस्थान भेजा गया है। गुप्तचर एजेंसियों ने भी सरकार को इसकी सूचना दी थी। इस सूचना के बाद से ही विधायकों की बाड़ेबंदी का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री निवास पर हलचल बढ़ गई। पुलिस की गाडिय़ां व बसें मुख्यमंत्री निवास पर पहुंच गई। बताया जा रहा है कि यहां से कई विधायकों को दिल्ली रोड स्थित एक होटल में ले जाया गया, जहां मुख्यमंत्री की ओर से सरकार में शामिल सभी विधायकों को रात्रिभोज दिया गया है।
मुख्यमंत्री खुद मीडिया के सामने विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात कह चुके हैं। बुधवार को मुख्यमंत्री द्वारा विधायकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा करने की भी बात कही जा रही है। जानकारी यह भी आई कि मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी के महानिदेशक को पत्र लिखकर विधायकों की खरीद-फरोख्त पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की।
राज्यसभा चुनाव गहलोत सरकार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। इसी लिए गहलोत विधायकों को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। शक जताया जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ नाराज विधायकों, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों और सरकार को समर्थन देने वाले 13 विधायकों से भाजपा सम्पर्क कर सकती है। कुछ कांग्रेसी विधायकों ने मुख्यमंत्री के सामने स्वीकारा है कि भाजपा की ओर से उनसे सम्पर्क किया गया है।
सरकार में शामिल कुछ विधायक साफ कह चुके हैं कि इस सरकार में उनके काम नहीं हो रहे हैं। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि राज्यसभा चुनावों में कुछ विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। इसी आशंका के चलते विधायकों की बाड़ाबंदी की गई है।