राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट राज्य की पांच परियोजनाओं में लाईमस्टोन, गारनेट और आयरन ओर के भण्डारों की खोज करवाएगा वहीं प्रदेश में खनिज एक्सप्लोर गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए ड्रिलिंग कार्य के लिए ड्रिलिंग मशीन व उपकरणों सहित आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल की अध्यक्षता में आरएसएमईटी की कार्यकारी परिषद की वर्चुअल प्लेटफार्म पर बुधवार को आयोजित बैठक में यह निर्णय किया गया। बैठक में कार्यकारी समिति के सदस्य एमईसीएल के सीएमडी रंजीत रथ, जीएसआई पश्चिम क्षेत्र निदेशक डॉ. एसके कुलश्रेष्ठ, आईबीएम के बीएल कोटडीबाल, आरएसएमएमएल के एफए टीआर अग्रवाल, निदेशक माइंस केबी पण्ड्या, जेएस नीतू बारुपाल ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर प्रदेश में सितंबर, 20 में खनन गतिविधियों को विस्तारित करने के लिए इस ट्रस्ट का गठन किया गया।
गहलोत का मानना है कि राजस्थान में अपार खनिज संपदा मौजूद है। खनन के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान को पूरी प्रतिबद्धता, तकनीक का बेहतर उपयोग, कार्यशैली में पारदर्शिता और इंवेस्टमेंट फ्रैण्डली के रुप में काम करना होगा। गहलोत की पहल और दिशा-निर्देशों को आगे बढ़ाते हुए ट्रस्ट की कार्यकारी समिति की पहली बैठक में ही महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि आरएसएमईटी में एकत्रित राशि से राज्य में खनन, खोज गतिविधियों को गतिशील किया जाएगा। पहले चरण में पांच परियोजनाओं में लाईम स्टोन के भण्डारों की खोज का कार्य कोटा जिले की नीमाना-धुनिया, बारां जिले के शाहबाद, जोधपुर जिले के बिलाडा तहसील के भगासनी ब्लॉक, अजमेर के पीसांगन के सरसड़ी में गारनेट और झुंझुनू के उदयपुरवाटी के पचलंगी पापड़ा में आयरन ओर के भण्डारों के एक्सप्लोर का कार्य इस ट्रस्ट के सहयोग से कराया जाएगा। माइंस विभाग की प्रयोगशाला को उच्च स्तरीय बनाने के लिए उसे आवश्यक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही एनएबीएल से प्रमाणित संस्था बनाया जाएगा, जिससे सेंपलों के विश्लेषण का कार्य स्तरीय और त्वरित हो सके।
अग्रवाल ने बताया कि विभाग में ड्रिलिंग कार्य को गति देने के लिए इस ट्रस्ट से नई ड्रिलिंग मशीन व आवश्यक उपकरण, आवश्यकता पडऩे पर आउटसोर्सिंग और प्रोत्साहन आधारित एक्शन प्लान क्रियान्वित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी विभाग के पास ड्रिलिंग के लिए पुरानी मशीनरी और प्रर्याप्त संसाधनों की कमी के कारण साल में 2500-2600 मीटर ही ड्रिलिंग हो पाती है। इस ट्रस्ट के माध्यम से विभाग की एक्सप्लोरेशन गतिविधियों में तेजी लाई जाएगी। ट्रस्ट की बैठक प्रति तीसरे माह और आवश्यकता पडऩे पर पहले भी की जा सकेगी ताकि इसके सहयोग से राज्य में खनन खोज व खनन कार्य गतिविधियों में तेजी लाई जा सके।
मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन के सीएमडी रंजीत रथ ने एमईसीएल के माध्यम से हरसंभव सहयोग का विश्वास दिलाया। उन्होंने नागपुर मुख्यालय का विजिट करने का आग्रह किया और कहा कि इससे देशभर की खनन खोज गतिविधियों का अनुभव साझा हो सकेगा। निदेशक माइंस केबी पण्ड्या ने बताया कि ट्रस्ट का मुख्यालय जयपुर में होगा। ट्रस्ट की गतिविधियों का संचालन हेतु गठित कोष में रायल्टी से 2 प्रतिशत राशि प्राप्त होगी। एक मोटे अनुमान के अनुसार इस कोष में सालाना 25 से 30 करोड़ की राशि प्राप्त होगी।