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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, सार्वजनिक आयोजनों के दौरान हिंदुओं को पारंपरिक परिधान पहनने चाहिए, स्थानीय भोजन करना चाहिए और अंग्रेज़ी नहीं बोलनी चाहिए

तिरुवनंतपुरम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि सार्वजनिक आयोजनों में भाग लेने के दौरान हिंदुओं को पारंपरिक परिधान पहनने चाहिए और अंग्रेज़ी नहीं बोलनी चाहिए।
बुधवार को पंपा नदी के किनारे केरल के पठानमथिट्टा जिले में वार्षिक चेरुकोलपुझा हिंदू सम्मेलन के तहत आयोजित ‘हिंदू एकता सम्मेलन’ का उद्घाटन करते हुए भागवत ने कहा कि “धर्म” हिंदू धर्म की आत्मा है और हर व्यक्ति को इसे व्यक्तिगत रूप से अपनाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि हर परिवार को सप्ताह में कम से कम एक बार एकत्र होकर प्रार्थना करनी चाहिए या यह चर्चा करनी चाहिए कि क्या उनकी वर्तमान जीवनशैली परंपरा के अनुरूप है।
भागवत ने कहा, “हमें यह भी विचार करना चाहिए कि हमारी बोली जाने वाली भाषा, हमारे यात्रा स्थलों और हमारे वस्त्रों का चयन हमारी परंपरा के अनुरूप है या नहीं। हमें अपने ही क्षेत्रों में घूमना चाहिए और उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो ज़रूरतमंद हैं। हमें अंग्रेज़ी नहीं बोलनी चाहिए और हमें अपने क्षेत्रीय व्यंजनों का ही सेवन करना चाहिए। किसी भी आयोजन में भाग लेने के दौरान हमें अपने पारंपरिक परिधान पहनने चाहिए, न कि पश्चिमी शैली के कपड़े।”
भागवत वर्तमान में दो दिवसीय केरल दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने केरल के आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक श्री नारायण गुरु पर आधारित एक पुस्तक का भी विमोचन किया। इससे पहले वे 16 से 21 जनवरी तक आरएसएस के संगठनात्मक कार्यक्रमों के तहत केरल का दौरा कर चुके हैं।
भागवत ने हिंदू समाज से एकजुट रहने और अपने समुदाय को मज़बूत बनाने की अपील की। उन्होंने कहा, “मज़बूती के साथ कुछ भय भी आते हैं, लेकिन शक्ति का सही उपयोग करना ज़रूरी है। इसका किसी और को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि धर्म को लेकर पूरी दुनिया में संघर्ष इसलिए होते हैं क्योंकि कई लोग अपने धर्म और विश्वास को सर्वोच्च मानते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू धर्म अलग है क्योंकि यह सनातन धर्म का पालन करता है, जो सभी को एकजुट करने की बात करता है।
भागवत ने कहा, “धर्म का पालन नियमों के अनुसार होना चाहिए। यदि कोई प्रथा नियमों के दायरे से बाहर है, तो उसे समाप्त कर देना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि जातिवाद और छुआछूत धर्म का हिस्सा नहीं हैं और इन्हें समाप्त किया जाना चाहिए, जैसा कि श्री नारायण गुरु ने कहा था।
चेरुकोलपुझा हिंदू सम्मेलन का आयोजन केरल स्थित समूह हिंदूमठ महामंडलम द्वारा किया जाता है, जिसकी स्थापना समाज सुधारक चट्टमबी स्वामिकल ने 1913 में छुआछूत के खिलाफ सुधारवादी आंदोलन के रूप में की थी। स्वामिकल ने हिंदू धर्म में पारंपरिक और अनुष्ठानिक प्रथाओं में सुधार और महिलाओं एवं वंचित समुदायों को सशक्त बनाने का समर्थन किया था।
इस वर्ष सम्मेलन का 113वां संस्करण आयोजित किया गया, जिसका उद्घाटन रविवार को केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने किया। इस अवसर पर राज्य के जल संसाधन मंत्री रोशी ऑगस्टीन, पठानमथिट्टा के सांसद एंटो एंटनी, और केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन भी उपस्थित थे। हिंदूमठ महामंडलम के उपाध्यक्ष, अधिवक्ता के. हरिदास ने कहा कि उनके संगठन के लिए मोहन भागवत की उपस्थिति गर्व की बात है।

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