इस साल जिन भी राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उससे पहले पार्टी सभी विवादों को सुलझाना चाहती है। इसी क्रम में अब बारी राजस्थान की है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ के विवाद को सुलझा लिया है और अब सारा ध्यान राजस्थान पर केंद्रित है।
गुरुवार को देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सचिन पायलट समेत राजस्थान कांग्रेस के तमाम बड़े नेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस बैठक में वर्चुअल रूप से हिस्सा लिया। कांग्रेस पार्टी की इस बैठक में कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कई बड़े फैसले लिए गए। इस बैठक के बाद साफ हो गया कि प्रदेश में मुख्यमंत्री नहीं बदला जाएगा, लेकिन चुनावों में पार्टी शायद ही किसी भी चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़े।
पार्टी में सचिन पायलट की नाराजगी दूर
इसके साथ ही इस बैठक में सचिन पायलट की भी नाराजगी दूर कर दी गई। पार्टी आलाकमान ने पायलट को लेकर तीन प्लान तैयार किए थे, जिनमें से पहला ऑप्शन प्रदेश अध्यक्ष, दूसरा ऑप्शन चुनाव कैंपेन कमिटी का प्रमुख और तीसरा केंद्र महासचिव बनाकर कोई बड़ी जिम्मेदारी दे। सूत्रों के अनुसार, शुरूआती दो ऑप्शन ठंडे बस्ते में जा चुके हैं क्योंकि माना जा रहा है कि गहलोत खेमा सचिन को प्रदेश अध्यक्ष स्वीकार नहीं करेगा। पार्टी का भी मानना है कि पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से आने वाले विधानसभा चुनाव में गुटबाजी की संभावना है, जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। वहीं, पायलट खुद कैंपेन कमेटी का चीफ नहीं बनना चाहते हैं।
चुनावों से पहले नहीं बदला जाएगा मुख्यमंत्री
शुरूआती दो ऑप्शन के ठंडे बस्ते में जाने के बाद अब माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को केंद्र में महासचिव बनाकर कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाए। साथ ही, इतना तय है कि चुनावों से पहले चुनावों से पहले प्रदेश में मुख्यमंत्री नहीं बदला जाएगा, इसलिए सचिन पायलट को सीएम बनाए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। अब सचिन पायलट को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी, इसका अंतिम फैसला तो कांग्रेस आलाकमान ही करेगा लेकिन अब छत्तीसगढ़ के बाद राजस्थान प्रकरण का भी पटापेक्ष होता हुआ दिख रहा है। गुरुवार 7 जुलाई को हुई बैठक के बाद ऐसा लग रहा है कि राजस्थान कांग्रेस में होने वाली गुटबाजी भी अब थम जाएगी।