यूनेस्को को राजस्थान सरकार की ओर से सौंपे गए डोजियर के हिसाब से जयपुर (Jaipur) में प्राचीन शहर का रखरखाव नहीं होने के चलते जयपुर का ‘वर्ल्ड हैरिटेज सिटी’ का प्रतिष्ठित दर्जा (World Heritage City status) यूनेस्को कभी भी छीन सकता है। दर्जा छिनने की खबरों के बीच कहा जा रहा है कि सरकार जल्द ही नगरीय विकास, स्वायत्त शासन एवं आवासन विभाग के सलाहकार डॉ. जीएस संधू (Sandhu) को वर्ल्ड हैरिटेज सिटी की कमान सौंप सकता है।
उच्च स्तरीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक संधू सरकार के प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान को सफल बनाने के लिए जुटे हुए थे। इस अभियान के लिए लगभग सभी एक्सरसाइज पूरी हो चुकी है और कहा जा रहा है कि अब संधू जयपुर के प्रतिष्ठित दर्जे को बचाने के लिए जुटेंगे।
जब सरकार की ओर से जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने के लिए यूनेस्को के साथ चर्चा चल रही थी और जरूरी सभी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही थी, उस समय संधू काफी समय तक स्वायत्त शासन विभाग में ही तैनात रहे थे। उनके निर्देशन में ही यह सभी प्रक्रियाएं पूरी की गई, जिसके चलते उन्हें यूनेस्को के साथ हुए अनुबंध की सभी जानकारी है।
जयपुर को यह दर्जा मिलने से पूर्व संधू सेवानिवृत्त हो गए थे। उनके साथ इस काम में लगे अन्य अधिकारियों में से भी कुछ सेवानिवृत्त हो गए और कुछ का अन्य विभागों में तबादला हो गया। अब हालात यह है कि स्वायत्त शासन विभाग हो या नगर निगम हैरिटेेज किसी के भी अधिकारी को यूनेस्को के साथ इस प्रतिष्ठित दर्जे के लिए हुए अनुबंध की न तो जानकारी है और न ही वह इस मामले को समझने का प्रयत्न कर रहे हैं। ऐसे में सरकार संधू को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी की कमान सौंप सकती है।
जिसे जिम्मेदारी सौंपी, वही बने दुश्मन
वर्ल्ड हेरिटेज सिटी जयपुर के रखरखाव के लिए वर्तमान कांग्रेस सरकार ने नगर निगम हेरिटेज का निर्माण कर उसे यह जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन यही निगम इस प्रतिष्ठित दर्जे का दुश्मन बन गया है। निगम हेरिटेज के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की मिलीभगत से ही यहां प्राचीन हवेलियों और मकानों को ध्वस्त कर नवीन निर्माण धड़ल्ले से कराया जा रहा है। यूनेस्को की गाइडलाइन के विपरीत प्राचीन शहर में जबरदस्त तरीके से व्यावसायीकरण हो रहा है, जिससे पुराने शहर का हेरिटेज लुक खत्म हो रहा है।
निगम नहीं बना पाया हेरिटेज सेल
नगर निगम हेरिटेज को जयपुर की प्राचीन विरासत को बचाने के लिए हेरिटेज सेल गठित करना था, निगम बने एक साल होने को आया, लेकिन अभी तक निगम की ओर से हेरिटेज सेल ही गठित नहीं हो पाया है, ऐसे में कैसे प्राचीन विरासतों की निगरानी हो पाएगी? निर्दलीय पार्षदों की बैसाखियों पर टिका निगम हेरिटेज का कांग्रेसी बोर्ड आज तक खुद के अस्तित्व को बचाने में ही लगा रहा, ऐसे में हेरिटेज सेल का निर्माण कैसे होता?
स्मार्ट सिटी के नाम पर बर्बाद हो रही विरासत
उधर रही सही कसर जयपुर स्मार्ट सिटी कंपनी ने पूरी कर रखी है। स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से लगातर यूनेस्को की गाइडलाइन के विपरीत संरक्षित शहर में कार्य कराए जा रहे हैं। विरासत को सहेजने के नाम पर भी कंपनी की ओर से जो कार्य कराए जा रहे हैं, वह एकदम घटिया गुणवत्ता के हैं और कई बार इनकी पोल खुल चुकी है। स्मार्ट सिटी के अधिकारी और इंजीनियर न तो यूनेस्को की गाइडलाइन मानने को तैयार हैं और न ही वह हेरिटेज कंसल्टेंट्स व स्टेट हेरिटेज कमेटी की बात मान रहे हैं। बिना हेरिटेज इम्पेक्ट असेसमेंट के वर्ल्ड हेरिटेज सिटी में कमीशनबाजी के काम कराए जा रहे हैं। कंपनी के कार्यों से न तो आम जनता को कोई फायदा मिल रहा है और न ही विरासत को।