शीतल शर्मा
हमारा ब्रह्माण्ड निरंतर गतिशील है और हमारी पृथ्वी भी अपने ध्रुव पर गतिमान है। इसी प्रकार सभी ग्रह अपनी-अपनी गति से चलते हुए एक राशि से अन्य राशि में विचरण करते हैं। इसी कारण ऐसे संयोग बनते हैं कि एक से अधिक ग्रह एक ही राशि में आ जाते हैं या हम कह सकते हैं, अत्यंत निकट आ जाते हैं। इसी का एक उदाहरण हमें इन दिनों देखने को मिल रहा है।
बीस नवम्बर से शनि और गुरु मकर राशि में
बीस नवम्बर 2020 से दो बड़े ग्रह गुरु और शनि मकर राशि में विचरण कर रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये दोनों ही ग्रह हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। गुरु और शनि की मकर राशि मे युति 5 अप्रेल 2021 तक रहने वाली है। ये दोनों ग्रह इन दिनों पृथ्वी के इतने निकट हैं कि इन्हें नग्न नेत्रों से भी देखा जा सकता है विशेष तौर पर ये दोनों ग्रह 21 दिसम्बर को एक-दूसरे के सबसे अधिक निकट रहने वाले हैं, ऐसा करीब 800 वर्षों के अंतराल के बाद होने जा रहा है।
भिन्न स्वभाव वाले हैं दोनों ही ग्रह
शनि और गुरु की युति एक महासंयोग ही होता है क्योंकि दोनों ही मंदगति ग्रह हैं और दोनों के एक राशि में मिलन को कई वर्ष लग जाते हैं। शनि ढाई वर्ष में राशि परिवर्तन करते हैं और गुरु को राशि परिवर्तन मे 12 से 13 महीने लग जाते हैं। दोनों ही ग्रहों का स्वभाव भिन्न है। देवगुरु ब्रहस्पति एक पवित्र, शुभ और सौम्य ग्रह है। उसे धनु और मीन राशि का स्वामी मानते हैं और यह वृद्धि का कारक है। शनि को आमतौर पर क्रूर ग्रह माना जाता है किंतु वह न्यायप्रिय ग्रह भी माना गया है। शनि रोग कारक हैं और उन्हें मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है।
मेष, वृष और मिथुन राशि वालों के लिए अशुभ
मकर राशि में बन रही यह इन दोनों ग्रहों की युति कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि के लिए लाभकारी है किंतु मेष, वृष और मिथुन के लिए अशुभ है। यही वजह है कि मेष, वृष और मिथुन राशि वाले जातकों को गुरु व शनि से सम्बंधित पूजा व दान कार्य करना उचित होगा।
लेखिका ज्योतिषी एवं प्रैक्टिसिंग रेकी हीलर हैं। अपॉइंटमेंट के लिए [email protected] पर मेल करें।