पाकिस्तान ने शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (एससीओ) में सहभागिता की है। उसके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस सम्मेलन में भाग तो ले लिया और यहां अपना ंसंबोधन भी दे दिया लेकिन अब वह अमेरिका के दबाव में आता दिख रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान को अपना पक्ष स्पष्ट करना पड़ रहा है और सफाई देनी पड़ रही है। एससीओ में भाग लेने के बाद पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि वह किसी भी गुट का हिस्सा नहीं बनने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि एससीओ रूस और चीन के नेतृत्व वाला संगठन है जिसे अमेरिका अपने विरोधी गुट के तौर पर देखता रहा है। एससीओ संगठन में भाग लेने के बाद उसका किसी गुट का हिस्सा नहीं होने वाला बयान देना यह बता रहा है कि उसे अब अमेरिका का डर भी सता रहा है।
एससीओ शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान ने हिस्सा ले लिया लेकिन अब उसे डर सता रहा है कि अमेरिका उसे चीन और रूस के गुट में शामिल देश ना मान ले। उधर, रूसी और चीनी नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में अधिक ‘निष्पक्ष और पारदर्शी’ विश्व व्यवस्था का आह्वान किया है। इसका सीधा निशाना अमेरिका की ओर था और इस बैठक में भाग लेकर पाकिस्तान भी इसी बात का समर्थन करता दिख रहा है। यही वजह कि पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने इस धारणा को खारिज कर दिया है कि पाकिस्तान किसी भी ब्लॉक का हिस्सा है।
पाकिस्तान के विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा, ‘मैं सबसे पहले यह स्पष्ट करना चाहूंगी कि पाकिस्तान ने बार-बार कहा है कि हम किसी गुट का हिस्सा नहीं है। हम गुट राजनीति में विश्वास नहीं करते हैं।’ उन्होंने यह बातें तब कही जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान रूस या चीनी गुट का हिस्सा बनेगा? शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने अमेरिका की ओर इशारा करते हुए बाहरी हस्तक्षेप खत्म करने का आह्वान किया जबकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बाहरी सैन्य उपस्थिति को खत्म करने की मांग करते हुए एक नए यूरोएशिया समझौते का प्रस्ताव रखा।
पाकिस्तान ने यह कहा
पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है, जिसे पश्चिम की ओर से संदेह की नजर से देखा जाता है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘हम आपसी सम्मान, आपसी विश्वास और एक-दूसरे के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने के आधार पर सभी देशों के साथ अच्छे संबंधों में विश्वास करते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरी बात एससीओ में पाकिस्तान की सदस्यता हाल की नहीं है। पाकिस्तान कई वर्षों से इसका सदस्य रहा है। यह एक बहुपक्षीय संगठन है। यह एक बहुपक्षीय संगठन है जो क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और सुरक्षा, आर्थिक और कनेक्टिविटी मुद्दों सहित आम समस्याओं का सामान्य समाधान खोजने पर फोकस करता है।’
वस्तु विनिमय करना चाहता है पाकिस्तान
उन्होंने कहा, ‘रूसी संघ के राष्ट्रपति और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बीच हुई बैठक के संबंध में, पाकिस्तान और रूसी संघ के संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है। दोनों देश द्विपक्षीय सहयोग के कई पहलुओं पर एक-दूसरे के साथ जुड़े हैं।’ अस्ताना में हुई मीटिंग में रूसी राष्ट्रपति ने शहबाज शरीफ के सामने ऊर्जा सहयोग बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की थी। हालांकि क्योंकि पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में शहबाज ने वस्तु विनमय का प्रस्ताव रखा। लेकिन इस पर अभी सहमति नहीं बनी है।
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