दिल्ली । पूरे भारत में लोग नवरात्रि के इन नौ दिनों के अवसर को बेहद ही उत्साह के साथ मनाते हैं। यह नौ दिन चलने वाला त्यौहार है और इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक में रूप में मनाया जाता है, जिसकी समाप्ति दशमी के दिन होती है। पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था।उसके आतंक से परेशान होकर देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर शक्ति के रूप में देवी दुर्गा को जन्म दिया और देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया।
नवरात्रों में नवदुर्गा के विभिन्न रूपों को प्रसन्न करने के लिए पूरे रीति-रिवाज के साथ सच्चे मन से पूजा की जाती है और भक्त श्रद्धा-भाव से उपवास भी करते है।देवी पुराण के अनुसार नवरात्रे वर्ष में चार बार होते है। जिसमें चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रे होते है।
इस बार का शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 17 अक्टूबर को पड़ रही है । इस दिन कलश स्थापना होगी । कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:27 से शुरू होकर 10:13 तक रहेगा। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:04 से शुरू होकर दोपहर 12:30 तक रहेगा। घटस्थापना या कलश स्थापना का नवरात्रि में विशेष महत्व है। इसे नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है।घटस्थापना शुभ मुहुर्त में पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, कलश को भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है।
नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग अवतारों के लिए होते है। इन दिनों मां दुर्गा की अलग-अलग शक्तियों की पूजा की जाती है । मां के अलग-अलग अवतारों को विभिन्न रंग अति प्रिय है और मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में माँ के प्रिय रंग का वस्त्र धारण करना शुभ होता है ।
1. शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा होती है और माता की पूजा के दौरान शुद्ध देसी घी चढ़ाया जाता ही । देवी शैलपुत्री में के स्वरूप को पीला रंग अति प्रिय इसलिए इस दिन पीला रंग पहनना शुभ माना जाता है ।
2. ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है । देवी ब्रह्मचारिणी को हरा रंग अत्यंत प्रिय है और भक्त देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी और फलों का भोग लगाते हैं ।
3. चंद्रघंटा
चंद्रघंटा माता का तीसरा रुप जिनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है । माता के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है और मां शेर पर सवार रहती हैं । देवी के इस स्वरूप को दूध, मिठाई और खीर का भोग लगाया जाता है । देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के तीसरे दिन हल्का भूरा रंग पहनना शुभ माना जाता है ।
4.कुष्मांडा
चौथे दिन कुष्मांडा माँ की पूजा की जाती है । इस देवी को प्रसन्न करने के लिए भक्त मालपुए का भोग लगाते हैं । देवी कुष्मांडा को संतरी रंग प्रिय है ।
5. स्कंदमाता
नवरात्रि के पाँचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है । इन्हें केले का भोग लगाया जाता है । देवी स्कंदमाता को सफेद रंग प्रिय है ।
6. कात्यानी
नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यानी का पूजन होता है, देवी कात्यानी को हाथ में चार हथियार लिए दर्शया गया है । भक्त देवी कात्यानी को प्रसाद के रूप में शहद चढ़ाते हैं । देवी कात्यानी को लाल रंग अति प्रिय है ।
7. कालरात्रि
सातवें दिन देवी कालरात्रि का पूजन किया जाता है । हिन्दू ग्रंथों के अनुसार, देवी कालरात्रि के चार हाथ हैं जो गधे की सवारी करती हैं । भक्त इन्हें गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाते हैं और देवी कालरात्रि को नीला रंग अति प्रिय है ।
8.महागौरी
दुर्गा अष्टमी या नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा का विधान है, इनकी सवारी बैल है।महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है, इससे सुख-समृद्धि की प्राप्त होती है। देवी महागौरी को गुलाबी रंग अति प्रिय है अतःअष्टमी की पूजा और कन्या भोज कराते वक्त गुलाबी रंग के वस्त्र पहने ।
9.सिद्धिदात्री
नवरात्रि के आखिरी दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है यह कमल में विराजमान हैं, देवी सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाया जाता है।देवी सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग अति प्रिय है इसलिए नवमी के दिन भगवती की पूजा करते समय बैंगनी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए ।
इस बार माँ घोड़े को अपना वाहन बना कर धरती पर आयेंगी और भैंस पर विदा हो रही है । यह शुभ संकेत नहीं माना जाता हैं । माना जाता है कि माँ के घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल और रोग व शोक की संभावना होती है।
नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है ।धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा जी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है । देवी माँ अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है और देवी माँ की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।