जयपुर

सरकार के अजब-गजब आदेश, नगर निगम के सफाई निरीक्षकों पर डबल मार, सफाई के साथ कोचिंग और फुटकर व्यवसाइयों से वसूली की जिम्मेदारी

जयपुर नगर निगम ग्रेटर अब दुकानों, शोरूमों, थड़ी-ठेलों, हॉस्टल, पीजी, कोचिंग सेंटरों और अस्पतालों के लाइसेंस बनाकर लाइसेंस फीस वसूल कर सकेगा। सरकार ने इसके लिए नियमावली बनाते हुए गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। सरकार ने यह नोटिफिकेशन जारी तो कर दिया है, लेकिन इसमें एक बड़ी भूल सामने आ रही है।

नोटिफिकेशन में हॉस्टल, पीजी, दुकानों-शोरूमों, अस्पतालों से राजस्व वसूली का अधिकार तो राजस्व निरीक्षकों को दिया गया है, लेकिन कोचिंग सेंटरों और फुटकर व्यापारियों के लाइसेंस बनाने, उनसे फीस वसूलने और अभियोजन का अधिकार सफाई निरीक्षकों को दे दिया गया है। ऐसे में अब स्वास्थ्य निरीक्षकों को शहर की सफाई का ध्यान रखने के साथ-साथ राजस्व वसूली भी करनी होगी। यदि ऐसा होता है तो शहर की सफाई व्यवस्था चौपट होने की पूरी-पूरी संभावना है।

यह नोटिफिकेशन मंगलवार को निगम में चर्चा का विषय बना रहा। कहा जा रहा है कि निगम में इस समय राजस्व निरीक्षक ठाले बैठे हैं और बिना काम वेतन उठा रहे हैं, क्योंकि राजस्व निरीक्षकों का मुख्य काम यूडी टैक्स की वसूली को सरकार पहले ही ठेके पर निजी कंपनी को दे चुकी हैञ अब कोचिंग सेंटरों और फुटकर व्यवसाइयों के लाइसेंस बनाने और फीस वसूली का काम सफाई निरीक्षकों को दे दिया गया है।

जबकि लाइसेंस बनाने और राजस्व वसूली करने का काम मूल रूप से राजस्व निरीक्षकों का ही है। राजस्व अधिकारियों के नीचे राजस्व निरीक्षकों का काम होता है तो फिर यहां सफाई निरीक्षकों को लगाने का उद्देश्य किसी को समझ नहीं आ रहा है।

हालांकि यह नोटिफिकेशन सरकार की ओर से जारी किया गया है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस बड़ी गलती के लिए निगम के ही अधिकारी जिम्मेदार है, क्योंकि नोटिफिकेशन का ड्राफ्ट निगम के अधिकारियों ने ही बनाकर सरकार को भेजा था। सरकार ने से सिर्फ उसपर मुहर लगाई है। ऐसे में निगम अधिकारियों को इस भूल के सुधार की तैयारी कर लेनी चाहिए।

इनकी यह होगी लाइसेंस फीस

हॉस्टल, पीजी, पेइंग गेस्ट हाउस

इन्हें लाइसेंस देने का काम जोन उपायुक्त या उपायुक्त राजस्व प्रथम करेंगे। इनका पंजीयन 5 वर्ष के लिए होगा और 5 से 20 बिस्तर तक 10 हजार रुपए , 21 से 50 बिस्तर तक 20 हजार रुपए और 50 से ज्यादा बिस्तर पर 30 हजार रुपए पंजीयन फीस लगेगी। वहीं 5 से 20 बैड तक 5 हजार रुपए, 21 से 50 बैड तक 10 हजार रुपए और 50 से ज्यादा बैड पर 20 हजार रुपए वार्षिक शुल्क चुकाना होगा।

अस्पताल, नर्सिंग होम, डाइग्नोस्टिक सेंटर, पैथ लैब

300 वर्गमीटर तक के लिए 10 हजार रुपए, 300 वर्गमीटर से बड़े अस्पताल, नर्सिंग होम, डाइग्नास्टिक सेंटर के लिए 20 हजार रुपए पंजीयन शुल्क होगा। वहीं डाइग्नोस्टिक सेंटर, पैथ लैब को प्रतिवर्ष10 हजार रुपए, 500 वर्गमीटर तक अस्पताल, नर्सिंग होम को 5 हजार रुपए प्रतिवर्ष, 500 से 1000 वर्गमीटर तक प्रतिवर्ष 25 हजार रुपए, 1000 से 2500 वर्गमीटर तक 35 हजार रुपए, 2500 वर्गमीटर से अधिक के लिए 50 हजार रुपए और चिकित्सालय जिनमें मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहा हो, के लिए 1 लाख रुपए प्रतिवर्ष शुल्क चुकाना होगा।

निजी कोचिंग संस्थानों, पुस्तकालय

इन संस्थानों के निरीक्षण व अभियोजन का अधिकार स्वास्थ्य निरीक्षकों का होगा। इसके तहत 100 विद्यार्थियों से कम के कोचिंग के लिए पंजीयन शुल्क 20 हजार रुपए और वार्षिक शुल्क 10 हजार रुपए प्रतिवर्ष होगा। 101 से 500 विद्यार्थियों के संस्थानों पर पंजीयन शुल्क 75 हजार और शुल्क 50 हजार रुपए वार्षिक होगा। 501 से 1000 विद्यार्थियों तक पंजीयन शुल्क 2 लाख और वार्षिक शुल्क 1.5 लाख, 1001 विद्यार्थियों से अधिक के संस्थानों के लिए पंजीयन शुल्क 3 लाख व वार्षिक शुल्क 2.5 लाख होगा।

होलसेल, थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता

इन संस्थानों के लिए स्वास्थ्य निरीक्षक प्राधिकृत अधिकारी होगा। इनमें विभिन्न व्यवसायों के लिए अलग-अलग पंजीयन शुल्क और वार्षिक शुल्क रखा गया है।

तम्बाकू उत्पाद

इनके लिए अस्थाई दुकानों से 100 रुपए पंजीयन शुल्क और 1000 रुपए वार्षिक शुल्क, फुटपाथ पर गुमटी, कियोस्क के लिए 200 रुपए पंजीयन शुल्क और 12 हजार रुपए वार्षिक शुल्क, फुटकर स्थाई दुकानों से 500 रुपए पंजीयन शुल्क और 15 हजार रुपए वार्षिक शुल्क, थोक विक्रेता के लिए 1000 रुपए पंजीयन और 25 हजार रुपए वार्षिक शुल्क होगा।

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