देश के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 31 जुलाई तक ‘एक देश-एक राशन कार्ड’ स्कीम लागू (Implement) करने के निर्देश दिये हैं। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार, 29 जून को दिये निर्देश में केंद्र और राज्य सरकारों को गैर-संगठित मजदूरों का डाटा भी जमा करने के लिए कहा है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट काल के दौरान बहुत से श्रमिक अपने गृह राज्यों से अलग ही रहे, ऐसे में केंद्र की ओर से एक देश-एक राशन स्कीम लाया गई थी, जिसे कई राज्यों ने लागू भी किया लेकिन पूरे देश में यह स्कीम लागू नहीं हो पाई थी। अब सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक इस स्कीम को लागू करने के लिए कहा है और केंद्र सरकार को राज्यों की मांग के मुताबिक अतिरिक्त राशन की आपूर्ति करने को भी कहा है। इसके सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को राशन देने के लिए भी स्कीम को लागू करने और कम्युनिटी किचन बनाने का भी निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि जब तक कोरोना महामारी का असर है, तब तक तो कम से कम इन्हें लागू रखने को कहा है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि एक देश एक राशन कार्ड स्कीम को लेकर कई राज्य सरकारों के केंद्र सरकार के साथ मतभेद रहे हैं। इन राज्यों में दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी रहे हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी राज्यों को इस स्कीम को लागू करना होगा। एक देश-एक राशन कार्ड के स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति अपने राशन कार्ड की मदद से देश के किसी भी हिस्से में सरकारी दुकान से राशन ले सकता है। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से कोरोना संकट के बीच नवंबर, 2021 तक मुफ्त राशन की स्कीम चालू की गई है, इसके अलावा कई राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर मुफ्त राशन की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं।