एक दशक से जयपुर में मानसून के सीजन में पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राजस्थान का पर्यटन विभाग प्रदेशभर में मानसून टूरिज्म ( Monsoon Tourism) को बढ़ावा (Promote) देने की कोशिशों में जुट गया है। पर्यटन विभाग की ओर से मानसून टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए ब्लॉगर्स का सहारा लिया जा रहा है।
पर्यटन विभाग का मानना है कि भारत में मानसून पर्यटन के लिए अधिकांश लोग हिमाचल या उत्तराखंड़ की ओर रुख करते रहे हैं, लेकिन मानसून के दौरान इन राज्यों में पर्यटन काफी जोखिमभरा रहता है, क्योंकि यहां बहुतायत में बादल फटने, बाढ़ आने और लैंड स्लाइडिंग का खतरा बना रहता है। मानूसन के दौरान राजस्थान के प्राकृतिक पर्यटन स्थल भी इन राज्यों को पूरी टक्कर देते हैं। यह सभी पर्यटन स्थल अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित हैं। अरावली पर्वत का श्रृंखला विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में शुमार होता है, ऐसे में यहां न तो ज्याद ऊंचाई के कारण बादल फटने जैसी घटनाएं होती है और न ही लैंड स्लाइडिंग की। इसलिए राजस्थान मानसून पर्यटन के लिए भारत में सबसे सुरक्षित डेस्टिनेशन है।
मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने देशभर के जानेमाने ब्लॉगर्स को राजस्थान आमंत्रित किया था। इसमें से कुछ ब्लागर्स के पहुंचने पर उन्हें उदयपुर, राजसमंद और बांसवाड़ा के प्राकृतिक पर्यटन स्थलों का दौरा कराया जा रहा है। पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यह वह ब्लॉगर्स हैं, जिनका दुनियाभर के पर्यटकों से जुड़ाव है और इनके फॉलोअर्स की संख्या 5 लाख से अधिक है। विभाग को आशा है कि इन ब्लॉगर्स के ब्लॉग से राजस्थान में मानसून टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
पर्यटन अधिकारियों का कहना है कि प्रमुख पांच ब्लॉगर्स में दिल्ली के शिवादित्य भारतीय, दिल्ली की कायनात काज़ी, बैंगलोर की अर्चना बोहरा, हैदराबाद की शिवानी सिंह और दिल्ली की अर्चना सिंह 2 अगस्त को राजस्थान पहुंच गए थे। इन्हें फिलहाल राजसमंद और उदयपुर का दौरा कराया जा रहा है। इसके बाद वह बांसवाड़ा का दौरा करेंगे। इन ब्लॉगर्स ने पिछोला झील, रूठी रानी का महल, सिटी पैलेस और सज्जनगढ़ किला जैसे दर्शनीय स्थलों का दौरा किया है।
जल्द ही वह बांसवाड़ा का भी दौरा करेंगे, क्योंकि पर्यटन विभाग का प्रमुख फोकस बांसवाड़ा पर है। मानसून के सीजन में बांसवाड़ा राजस्थान का सबसे रमणीक स्थल बन जाता है। ज्यादा प्रचार नहीं होने के कारण अधिकांश पर्यटक बांसवाड़ा नहीं पहुंचते हैं, जबकि यहां मानसून पर्यटन की विपुल संभावनाएं है।