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जयपुर नाहरगढ़ अभ्यारण्य में अवैध निर्माण का टेंडर जारी, वन विभाग को टके सेर नहीं पूछ रहे आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण अधिकारी

जयपुर। राजधानी के नाहरगढ़ अभ्यारण्य को लेकर वन विभाग और पुरातत्व विभाग में जबरदस्त ठनी हुई है। वन विभाग यहां गैर वानिकी गतिविधियों को रोकने की कोशिशों में लगे हैं, लेकिन पुरातत्व विभाग और कार्यकारी एजेंसी आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) वन एवं वन्यजीव अधिनियमों को ताक में रखकर लगातार विवाद को बढ़ाते जा रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि पुरातत्व और एडमा मनमाने तरीके से टेंडर पर टेंडर निकाले जा रहे हैं और वन अधिकारियों को टके सेर भी नहीं पूछ रहे हैं।

जानकारी सामने आई है कि एडमा की ओर से हाल ही में आमेर महल के बाहरी इलाकों में नवीन निर्माण का 18-20 लाख का टेंडर निकाला है। इसके तहत महल के चांदपोल गेट के बाहर बनी पार्किंग के आस-पास खाली पड़ी जमीन पर बाउंड्रीवॉल का निर्माण किया जाएगा। साथ ही लाइट एंड साउंड शो के आस-पास भी लोहे का काम कराया जाना प्रस्तावित है।

एडमा अधिकारियों का कहना है कि बाउंड्रीवॉल का निर्माण दो-चार दिनों में शुरू करवा दिया जाएगा, लेकिन लोहे का काम में थोड़ा समय लग सकता है, क्योंकि इस कार्य के लिए महल अधीक्षक की रजामंदी नहीं मिल पाई है। जानकारी के अनुसार अधीक्षक पंकज धरेंद्र विगत एक दशक से इसी पद पर तैनात हैं और उन्हें पता है कि कौन सी जमीन पुरातत्व विभाग के स्वामित्व में है और कौन सी जमीन वन विभाग की।

नाहरगढ़ फोर्ट पर अवैध व्यावसायिक गतिविधियों को लेकर पूरा पुरातत्व विभाग डरा हुआ है, ऐसे में धरेंद्र लोहे का काम करवा कर आमेर में विवाद को हवा नहीं देना चाहते। यदि आमेर में भी वन विभाग के साथ विवाद शुरू होता है तो उनकी मलाईदार कुर्सी पर संकट खड़ा हो सकता है।

वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि पुरातत्व विभाग विगत एक दशक से आमेर महल के बाहर जगह-जगह पर बाउंड्रीवॉल कर वनभूमि पर अतिक्रमण करने की नीयत रखता है, ताकि यहां वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके। पुरातत्व विभाग बाउंड्रीवॉल से जमीन का बंटवारा करना चाहता है, लेकिन अभ्यारण्य की भूमि की पैमाइश पिलर टू पिलर होती है। जिस दिन वन विभाग यहां सीमाज्ञान कराएगा, उसी दिन पुरातत्व विभाग के हाथ से बड़ी जमीन निकल सकती है।

इस लिए नींद से जागा वन विभाग

सूत्र बताते हैं कि नाहरगढ़ फोर्ट में वाणिज्यिक गतिविधियों की शिकायत और जांच के बाद वन विभाग की ओर से पुरातत्व विभाग और एडमा के खिलाफ कार्रवाई के बहाने तलाशे जा रहे थे। एडमा की ओर से नवीन निर्माण की निविदा निकाली गई तो वन विभाग को कार्रवाई का कारण मिल गया। वन विभाग महल के पीछे खाली पड़े इलाके और मावठे के पास बनी बस पार्किंग को अपनी बता रहा है। ऐसे में अब विभाग द्वारा नाहरगढ़ के साथ-साथ आमेर में भी कार्रवाई करने की आशंका जताई जा रही है। आमेर में वन विभाग सीमाज्ञान के लिए पैमाइश करा सकता है।

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