जयपुर

राजस्थान पुरातत्व विभाग में कुर्सी की लड़ाई, राजनेताओं तक आई

जयपुर। दो दशकों से घोटालों का केंद्र बने राजस्थान पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग में एक ही पद पर नियमविरुद्ध दशकों से बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों की लड़ाई अब राजनेताओं तक पहुंचने लगी है। कहा जा रहा है कि लगातार खुलासे होने के बाद अब यह अधिकारी-कर्मचारी राजनेताओं तक पहुंचने लगे हैं, ताकि उन्हें मलाईदार कुर्सी से कोई हटा नहीं सके।

विभाग में इस समय सहायक लेखाधिकारी ग्रेड सेकण्ड सत्यनारायण शर्मा का मामला चर्चा में है। सूत्रों के अनुसार शर्मा नियमविरुद्ध करीब छह वर्षों से इस पद पर काम कर रहे है। उन्हें आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) में लगा दिया गया, लेकिन उनका मोह पुरातत्व विभाग से नहीं छूट रहा है। शर्मा को 2 अगस्त 2019 को एडमा में लगाया गया, पदस्थापन होने के बावजूद पहले उन्होंने विभाग में कनिष्ठ लेखाकार का अतिरिक्त प्रभार ले लिया। बाद में 13 मार्च 2020 को फिर से तिकड़म लगाकर इस पद का अतिरिक्त कार्यभार लेने में सफल हो गए।

क्लियर न्यूज की ओर से पुरातत्व विभाग में वर्षों से एक ही पद पर बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार खबरें प्रकाशित की जा रही है। इन खबरों के बाद धरोहर बचाओ समिति के संरक्षक एडवोकेट भारत शर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत विभाग में नियमविरुद्ध एक ही पद पर बरसों से जमे अधिकारियों की सूचना मांगी थी, शर्मा का कहना है कि विभाग ने उन्हें आधी-अधूरी सूचना उपलब्ध कराई। इसके बावजूद सूचनाओं से अधिकारियों के खेल का खुलासा हो गया है।

प्रभार छीना तो शुरू हो गई सेटिंगबाजी

लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद पुरातत्व विभाग में खलबली मची हुई है। कला संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने 3 दिसंबर 2020 को शर्मा का अतिरिक्त प्रभार छीन लिया। उन्हें एडमा में पूर्णकालिक कार्य करने के निर्देश दिए गए। सूत्रों का कहना है कि आदेश निकलने के बाद भी वह विभाग में डेरा डाले हुए हैं और आदेश निरस्त कराने में जुटे हैं। इस काम में विभाग अकाउंट्स शाखा के प्रमुख और इंजीनियरिंग शाखा आदेश निरस्त कराने में लगी है। एक मंत्री और एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का सहारा लिया जा रहा है। इंजीनियरिंग शाखा और अकाउंट्स प्रमुख की कांग्रेस में अच्छी दखल बताई जा रही है।

इस लिए नियमविरुद्ध

नियमानुसार विभागों की अकाउंट्स शाखा में सहायक लेखाधिकारी ग्रेड सेकण्ड स्तर के अधिकारियों का तबादला 4 वर्ष में हो जाना चाहिए, लेकिन शर्मा यहां छह वर्षों से अधिक समय से कार्य कर रहे हैं। अकाउंट्स शाखा के अधिकारियों के तबादले और उनको दिए गए कार्य की पुष्टी और सहमति निदेशक कोष एवं लेखा से करानी जरूरी होती हैै, लेकिन शर्मा को एडमा में नियुक्त करने के आदेश, उन्हें अतिरिक्त प्रभार दिए जाने के आदेश की प्रतिलिपी निदेशक कोष एवं लेखा को नहीं भिजवाई गई, जो विभाग में भ्रष्टाचार और सरकारी राजस्व में लीकेज की आशंका जता रहा है।

मुख्यमंत्री के निर्देशों की उड़ रही धज्जियां

कोरोना लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी विभागों को मितव्ययिता बरतने के निर्देश दिए थे, लेकिन पुरातत्व विभाग इन निर्देशों को मानने से गुरेज कर रहा है। विभाग में सहायक लेखाधिकारी ग्रेड सेकण्ड का मात्र एक पद है, लेकिन आरटीआई में खुलासा हुआ है कि विभाग में इसी स्तर के दो अन्य अधिकारी भी तैनात हैं, जिनसे पद के विरुद्ध कनिष्ठ लेखाकार का काम लिया जा रहा है।

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