जयपुर

12वीं की किताब में इस्लामिक आतंकवाद के सवाल पर हुआ बवाल, प्रकाशक के दफ्तर में तोड़फोड़ और किताबें जलायी गयीं

राजस्थान में 12वीं कक्षा की किताब में प्रकाशित विवादित सामग्री के विरोध में एक समुदाय विशेष के लोगों ने प्रकाशक के दफ्तर में बुधवार, 17 मार्च को जमकर उत्पात मचाया और तोड़फोड़ की। प्राप्त जानकारी के मुताबिक जयपुर की चारदीवारी में स्थित धामाणी मार्केट में संजीव प्रकाशन के दफ्तर में दोपहर को हुए हमले में हमलावरों ने दफ्तर के फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया और किताबों के भी फाड़ दिया।

यद्यपि सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची किंतु इससे पहले ही हमलावर रफूचक्कर हो गये। प्रकाशक के दफ्तर पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंचकर आमजन की सुरक्षा के हालात पर नाराजगी जाहिर की और धामाणी मार्केट की इस घटना के अपराधियों को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की।

हमलावरों ने फर्नीचर तोड़ा व किताबें लूटकर उन्हें जलाया

संजीव प्रकाशन के दफ्तर में तोड़फोड़ के बाद की स्थिति

प्रकाशक के प्रबंधक विजय शंकर शुक्ला ने बताया कि  12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की पुस्तक में इस्लामिक आतंकवाद के प्रश्न के उत्तर को प्रकाशित किया गया था। यह प्रश्न माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताब में भी पूछा गया है। संभवतः इस्लामिक समुदाय के लोगों ने इसी बात से नाराज होकर संजीव प्रकाश के दफ्तर में हमला किया। शुक्ला ने बताया कि हमलावरों ने ऑफिस में तोड़फोड़ करने के बाद ऑफिस के फर्नीचर को तोड़ा और कुछ किताबें लूटकर, उन्हें ऑफिस के बाहर जला दिया।

इस्लामिक आतंकवाद के सवाल के उत्तर पर है आपत्ति

प्रकाशक के दफ्तर में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद तोड़फोड़ के दृश्य

जानकारी के मुताबिक किताब में प्रश्न था कि इस्लामिक आतंकवाद से आप क्या समझते हैं और इसके उत्तर में यह प्रकाशित किया गया था, ”इस्लामी आतंकवाद इस्लाम का ही एक रूप है, जो विगत 20-30 वर्षों में अत्यधिक शक्तिशाली बन गया है। आतंकवादियों में किसी एक गुट विशेष के प्रति समर्पण का भाव नहीं होकर एक समुदाय विशेष के प्रति समर्पण भाव होता है। समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता इस्लामिक आतंकवाद की मुख्य प्रवृत्ति है। पंथ या अल्लाह के नाम पर आत्मबलिदान और असीमित बर्बरता, ब्लैकमेल, जबरन धन वसूली, और निर्मम नृशंस हत्याएं करना ऐसे आतंकवाद की विशेषता बन गई है। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया धार्मिक व पृथकतावादी श्रेणी में आता है।”

तोड़फोड़ पर भाजपा नेता और पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी की प्रतिक्रिया

सामग्री वर्ष 2017 में प्रकाशित थी पर हमला आज

शुक्ला ने बताया कि कुछ समय पहले वर्ष 2017 में इस प्रकाशित सामग्री पर लोगों की आपत्तियां आयी थीं और इसीलिए संजीव प्रकाशन ने अपनी विभिन्न पुस्तकों को बाजार से वापस उठा लिया था और आपत्तिजनक सामग्री को भी हटा लिया गया थ। ऐसा इसिलये किया गया था कि किसी की भी धार्मिक आस्था को ठेस न पहुंचे। गुप्ता ने यह भी बताया कि इस प्रश्न का जवाब अन्य प्रकाशकों की किताबों में भी इसी तरह से समझाया गया है।

आपत्तियों के बाद हटा भी ली गयी थी सामग्री

उन्होंने बताया कि विवादित सामग्री पर आपत्ति के बाद प्रकाशित की गयी सामग्री हटाने के साथ ही लिखित में माफी भी मांगी गयी थी। उसके बावजूद 3-4 दिन पहले कुछ लोगों के फोन आए और उन्होंने इस मामले पर हमें धमकाया। इसकी शिकायत पुलिस कोतवाली में भी की गयी और वहां से दफ्तर की  सुरक्षा के लिए पुलिस के 2-3 जवान भी उपलब्ध करवाए गए थे लेकिन  दोपहर करीब 3 बजे 4-5 लोग ऑफिस आए और यहां तोड़फोड़ शुरू कर दी। लगभग 30-40 लोग ऑफिस के बाहर भी खड़े थे। विरोध करने आए लोगों ने फर्नीचर नीचे गिरा दिया और किताबें फाड़ दी। इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है।

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