जयपुर। राजगढ़ में प्राचीन मंदिरों को तोड़ने के मामले में अब कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप—प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अलवर के राजगढ़ में मंदिर को तोड़ने के मामले में सरकार और कांग्रेस संगठन का कोई लेना देना नहीं है। इस मामले में राजगढ़ नगर पालिका भाजपा बोर्ड पूरी तरह से दोषी है।
शुक्रवार को अपने सरकारी निवास पर पत्रकारों से बातचीत करते डोटासरा ने कहा कि जब प्रदेश में वसुंधरा राजे की सरकार थी और भाजपा मंडल अध्यक्ष सत्येंद्र सैनी ने कलेक्टर 15 अगस्त 2018 को चिट्ठी लिखकर यह अतिक्रमण हटाने की सिफारिश की थी। राजगढ़ में भाजपा का बोर्ड है। जिसके अध्यक्ष सतीश गुहारिया हैं। नगर पालिका की साधारण सभा 8 फरवरी 2021 को अतिक्रमण हटाने का प्रस्ताव पास किया गया था। उसके बाद ही यह अतिक्रमण हटाया गया है। कांग्रेस की सरकार में मंदिरों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती, यह भाजपा का एजेंडा रहा है। डोटासरा ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया से सवाल करते हुए कहा कि वह इस बारे में स्थिति स्पष्ट करें।
कांग्रेस विधायक जौहरी लाल मीणा ने कहा कि राजगढ़ कस्बे में अतिक्रमण हटा है। यहां की नगर पालिका में भाजपा का बोर्ड है। इस कारण वे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते हैं। दूसरी तरफ नगर पालिका बोर्ड अध्यक्ष का कहना है कि यह कार्रवाई प्रशासन के स्तर पर की है, जबकि प्रशासन का कहना है कि नगर पालिका बोर्ड के स्तर पर प्रस्ताव पारित हुआ है। उसके बाद ही अतिक्रमण हटाया गया है। असल में 2012 के मास्टर प्लान में यह 60 फीट की रोड है। इस मास्टर प्लान का हवाला देकर कार्रवाई की है।
प्रशासन का कहना है कि मास्टर प्लान के अनुसार राजगढ़ में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है। सालों से यहां बहुत ज्यादा अतिक्रमण हो गया था। राजस्व रिकाॅर्ड के अनुसार यहां करीब 60 फीट का रास्ता है। जो 25 फीट भी नहीं बचा था। इस कारण जेसीबी से अतिक्रमण हटाया गया है।
सांसद किरोड़ी मीणा बैठे धरने पर
मंदिर तोड़ने के मामले में प्रदेश में सियासी बवाल खड़ा हो गया है। मंदिर तोड़ने के विरोध में राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी मीणा शुक्रवार को राजगढ़ पहुंच और धरने पर बैठ गए। इस प्रकरण में मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘अब्दुल गहलोत खान’ बताया। उन्होंने कहा कि सरकार की मिलीभगत से यह मंदिर तोड़े गए हैं। गहलोत बहुसंख्यक समाज के खिलाफ हैं।
मंदिरों को तोड़ने के इस मामले में राजस्थान भाजपा ने कहा कि कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के शासन में बहुसंख्यकों को दबाया जा रहा, उसी का नतीजा है हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक 300 वर्ष पुराने भगवान शिव मंदिर को तोड़ा जाना। क्या अकेला पालिका बोर्ड ही अतिक्रमण को तोड़ने का फैसला करता है, डीएलबी, प्रशासन, सरकार, अधिकारी यह पूरी प्रक्रिया है जिसके आधार पर ऐसे निर्णय लिये जाते है।