जयपुर

जिस विरासत पर पड़ा जयपुर स्मार्ट सिटी का पांव, वहीं हुआ बंटाधार, नए निर्माण के लिए त्रिपोलिया पर स्थित पुस्तकालय भवन के छज्जे तोड़े, स्मार्ट सिटी करा रहा महाराजा पुस्तकालय का जीर्णोद्धार, विरासत की बर्बादी पर नगर निगम हैरिटेज मौन

पुरानी कहावत है कि ‘जहां-जहां पांव पड़े संतन के, वहां-वहां बंटाधार।’यह कवाहत इन दिनों जयपुर स्मार्ट सिटी पर एकदम फिट बैठ रहा है। कारण यह कि शहर में जहां-जहां स्मार्ट सिटी की ओर से पुरानी इमारतों में संरक्षण और जीर्णोद्धार कार्य कराया जा रहा है, वहीं पर विरासत का बंटाधार हो रहा है।

वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड हैरिटेज सिटी जयपुर में प्राचीन बसावट की देखरेख के लिए सरकार ने जो नगर निगम हैरिटेज बनाया था, वही निगम हैरिटेज का दुश्मन बन चुका है। बचाने के बजाए नगर निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलीभगत से शहर की प्राचीन विरासतों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे है, यदि ऐसा ही हाल रहा तो शहर का वर्ल्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा कभी भी छिन सकता है।

ताजा मामला सामने आया है त्रिपोलिया स्थित प्राचीन पुस्तकालय भवन का। त्रिपोलिया में एक ओर त्रिपोलिया गेट तो दूसरी ओर हिंद होटल व उसके सामने स्थित पुस्तकालय भवन का प्राचीन हैरिटेज बरबस यहां से गुजरने वालों का ध्यान अपनी तरफ खींचता है, लेकिन पुस्तकालय भवन की पूर्वी दीवार से सटाकर तीसरी मंजिल का नवीन निर्माण किया जा रहा है। नवीन निर्माण के लिए निर्माणकर्ता ने इस पुस्तकालय के छज्जों को तोड़ कर अतिक्रमण कर लिया। वहीं निर्माण के कारण पुस्तकालय का पूर्वी हिस्सा भी बिलकुल छिप गया है। नियमविरुद्ध आरसीसी की छत डालने के लिए यहां फंटे लगाए जा चुके हैं और जल्द ही सरिया बांध कर छत डाल दी जाएगी।

एक तरफ संरक्षण, दूसरी ओर विरासत का बंटाधार
महाराजा पुस्तकालय की प्राचीन इमारत में स्मार्ट सिटी संरक्षण व जीर्णोद्धार कार्य करा रहा है। जीर्णोद्धार के लिए पुस्तकालय प्रशासन ने इमारत स्मार्ट सिटी को सौंप रखी है। ऐसे में यदि इमारत को कोई नुकसान पहुंचाया जाता है तो इसकी जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी की बनती है। कहा जा रहा है कि स्मार्ट सिटी अधिकारियों की मिलीभगत से ही पुस्तकालय की इमारत को नुकसान पहुंचाया गया है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि जहां सरंक्षण का कार्य चल रहा हो, वहां अधिकारियों को नुकसान पहुंचाए जाने का पता ही नहीं चले। इमारत में नुकसान के बावजूद अभी तक कंपनी की ओर से कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।

स्मार्ट सिटी के अधिशाषी अभियंता बेनीवाल का कहना है कि उन्हें इमारत को नुकसान पहुंचाने और छज्जों पर अतिक्रमण की जानकारी नहीं है। इस मामले को दिखवाते हैं। संपत्ति पुस्तकालय वालों की है, उन्हें ही इस संपत्ति का ध्यान रखना चाहिए। उल्लेखनीय है कि नगर निगम के आयुक्त लाकबंधु ही स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ भी हैं। ऐसे में साफ है कि उन्हें भी विरासत की इस बर्बादी की पूरी जानकारी है। जब उनसे विरासत की बर्बादी पर सवाल किए तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए कहा कि संबंधित अधिकारी ही इस मामले में कुछ बता सकते हैं।

जिम्मेदारों ने आंखे मूंदी
जानकारी में आया है कि इस मामले में किशनपोल जोन उपायुक्त और सतर्कता आयुक्त को कई शिकायतें की जा चुकी है, लेकिन उन्होंने इस मामले में आखें मूंद रखी है। जोन उपायुक्त सोहन लाल चौधरी का कहना था कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। सतर्कता शाखा की ओर से कहा जा रहा है कि इस मामले की पूरी जानकारी जोन को दी जा चुकी है। जोन की तरफ से कोई निर्देश मिलेंगे तो कार्रवाई कर दी जाएगी।

नगर निगम के भ्रष्टाचार को भेंट चढ़ेगा हैरिटेज
18 अप्रेल को वल्र्ड हैरिटेज डे पूरे धूमधाम से मनाया जाएगा। वल्र्ड हैरिटेज डे से पूर्व हैरिटेज सिटी जयपुर की यह खबर काफी निराश कर रही है। पुरातत्व और पर्यटन क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि आखिर सरकार कर क्या रही है? लगातार मीडिया में हैरिटेज सिटी में विरासतों को खत्म करने की खबरें चल रही है, हैरिटेज से जुड़े पुरातत्व विभाग, आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण, नगर निगम हैरिटेज में भ्रष्टाचार चरम पर है और मिलीभगत से शहर के हैरिटेज को निशाना बनाया जा रहा है, इसके बावजूद सरकार चुप बैठी है।

क्या सरकार को भी शहर के इस सम्मानजनक दर्जे की चिंता नहीं है? यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक-दो दशक में शहर का पूरा हैरिटेज नगर निगम के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा।

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