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पुण्यतिथि विशेष: भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को देश कर रहा नमन

आज तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है। देश उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। नीति सिद्धांत, विचार एवं व्यवहार की सर्वोच्च चोटी पर रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी एक असामान्य व्यक्तित्व थे। वे सदैव जमीन से जुड़े रहने वाले नेता रहे। उनकी पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अनेक केन्द्रीय मंत्रियों और कार्यकर्ताओं ने सुबह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पांचवीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की।
21वीं सदी में ले जाने में अटल जी की महत्वपूर्ण भूमिका
पीएम मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुए अपने एक ट्वीट संदेश में कहा कि मैं भारत के 140 करोड़ लोगों के साथ मिलकर असाधारण अटल जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके नेतृत्व से भारत को बहुत लाभान्वित हुआ। उन्होंने हमारे देश को प्रगति पथ पर बढ़ाने और कई क्षेत्रों में इसे 21वीं सदी में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्मृति स्थल “सदैव अटल” परप्रार्थना सभा का आयोजन
पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के स्मृति स्थल “सदैव अटल” पर प्रातःकाल प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल, अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल, हम पार्टी के संस्थापक जीतनराम मांझी सहित सहित बड़ी संख्या में गणमान्य जन मौजूद रहे।
बेहद लोकप्रिय नेता थे अटल जी
बता दें कि भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 1968-1973 तक इसके अध्यक्ष रहे। भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष रहे अटल बिहारी वाजपेयी की देशभर में उनकी लोकप्रियता का ही नतीजा था कि वे चार दशक तक भारतीय संसद के सदस्य थे। वे इकलौते राजनेता थे, जिन्होंने चार राज्यों की छह लोकसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर और विदिशा के साथ दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनावी जीत हासिल की। हालाकि अटल बिहारी वाजपेयी ने 2005 में ही सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था। भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी ने कई इतिहास रचे हैं। अटल जी ने जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा दिया।

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