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टिकट वितरण (ticket distribution) में गड़बड़ी नहीं की होती, तो आज पायलट (Pilot) होते राजस्थान के मुख्यमंत्री (CM)

कांग्रेस (Congress) से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बने रामकेश मीणा ने असंतुष्ट गुट के नेता सचिन पायलट ( Sachin Pilot) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मीणा ने मंगलवार को कहा कि सरकार के साथ इस समय जितने भी निर्दलीय विधायक हैं, वह कांग्रेस मानसिकता के हैं। उनके टिकट काटकर सचिन पायलट ने कांग्रेस को कमजोर करने का प्रयास किया था। यदि टिकट वितरण (ticket distribution) सही होता तो कांग्रेस की 40 सीटें ज्यादा आती।

मीणा के इन आरोपों के बाद कांग्रेस में चर्चा है कि पायलट की गलतियों की वजह से ही आज यह हालात बने हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि टिकट वितरण में गड़बड़ी नहीं होती तो आज कांग्रेस के 125 से अधिक विधायक होते और पायलट को मुख्यमंत्री (CM) बनने से कोई रोक नहीं सकता था। आलाकमान भी इतनी सीटें आने के बाद पायलट के नाम पर ही मुहर लगाते, लेकिन पायलट ने गहलोत को कमजोर करने के लिए टिकट वितरण में गड़बड़ी की, जिसका खामियाजा उन्हीं को भुगतना पड़ा। पायलट ने खुद के पांव पर तो कुल्हाड़ी मारी ही, साथ में कांग्रेस को भी कमजोर कर दिया।

टिकट ऐसे बंटे कि निर्दलियों के आगे हार गए कांग्रेसी

सूत्र बता रहे हैं कि निर्दलीय विधायकों में संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर, महादेव सिंह खंड़ेला, रामकेश मीणा, राजकुमार शर्मा समेत कई ऐसे बड़े नाम हैं, जिन्हें यदि टिकट दिया जाता तो कांग्रेस मजबूत स्थिति में होती। टिकट नहीं मिलने के बावजूद यह लोग चुनाव जीत कर आए और अब सरकार के साथ खड़े हैं। वहीं एक दर्जन से अधिक ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया, जो दमदार नहीं माने जाते थे। इनकी जगह यदि दमदार प्रत्याशियों को टिकट दिया जाता तो वह जीत कर आते, लेकिन इनके हारने से भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़ गई। ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि पायलट ने ऐसे लोगों को टिकट क्यों दिए, जो निर्दलियों के आगे हार गए।

कांग्रेस पूरी 200 सीटों पर नहीं खड़े कर पाई प्रत्याशी

कांग्रेस में कहा जा रहा है कि पायलट को राष्ट्रीय लोक दल के साथ किए गए सीटों के बंटवारे पर भी जवाब देना होगा। पायलट ने राष्ट्रीय लोकदल को पांच सीटें दी थी। यदि इन सीटों पर पायलट समझौता करने के बजाए कांग्रेस के उम्मीदावार उतारते तो यह सीटें भी कांग्रेस की झोली में होती। समझौते के बावजूद राष्ट्रीय लोकदल इन सीटों पर कोई बड़ा उलटफेर नहीं कर पाई और उसके अधिकांश प्रत्याशी हार गए। पायलट की वजह से कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनावों में पूरी 200 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा नहीं कर पाई थी। पायलट को यह भी जवाब देना होगा कि उनके रहते कांग्रेस दो बार लोकसभा चुनाव बुरी तरह से क्यों हारी।

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