21 सेशन में 100 से अधिक डॉक्टरों ने आम बोलचाल की भाषा में आमजन के सवालों के दिए जवाब, मेडिफेस्ट 2022
जयपुर । निरोगी राजस्थान मेडिफेस्ट 2022 के समापन के दिन बुधवार को 3 हॉलों में हुए 21 सेशन में 100 से अधिक डॉक्टरों ने संबंधित विषयों पर अपने व्याख्यान दिए व आमजन द्वारा पूछे गए सवालों के भी जवाब दिए।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के मैदान में आयोजित मेडिफेस्ट के आखिरी दिन हॉल-ए में हार्ट, मस्तिष्क, डायबिटीज, किडनी, पाचन, महिला स्वास्थ्य एवं आपातकालीन विषयों पर विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आम बोलचाल की भाषा में अपनी राय रखी। इन तमाम तरह की बीमारियों के लक्षण, सावधानी और उपचार के बारे में भी विस्तार से बताया। आरयूएचएस के वीसी डॉ. सुधीर भंडारी ने डायबिटीज से जुड़ी चर्चा के दौरान कहा कि भारत में करीब 20 प्रतिशत लोग इससे ग्रसित हैं। डायबिटीज पूरे शरीर को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि डायबिटीज के दौरान व्यायाम और बैलेंस डाइट की महत्वपूर्ण भूमिका है। जीवनशैली में थोड़ा बदलाव करके डायबिटीज को रिवर्स भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को शरीर में होने वाले छोटे से छोटे बदलाव को भी ध्यान में रखना चाहिए और लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। सेशन में बताया गया कि किस तरह सुरक्षित हार्ट रखा जा सकता है। डायबिटीज और किडनी से बचाव के प्रभावी उपाय भी बताए।
हॉल-बी में चिकित्सकों ने स्कूल स्वास्थ्य, अस्थि, युवा मां, वृद्धावस्था, नेत्र, कोविड और रक्तदान जैसे विषयों पर विस्तार से आमजन को बताया। सबसे खास बात यह थी कि सभी सेशन आम बोलचाल की भाषा में व आम जन को समझाने के उद्देश्य संचालित किए गए। सेशन में उपस्थित लोगों ने संबंधित विषयों पर सवाल-जवाब कर अपनी जिज्ञासाएं भी शांत की। डॉ. गुंजन सोलंकी ने स्कूली स्वास्थ्य पर बोलते हुए कहा कि बच्चों को गुड और बैड टच का ज्ञान होना जरूरी है। किसी भी बैड टच की फीलिंग आने पर तुरंत जगह छोड़ने व सबसे करीबी को तुरंत बताना चाहिए। डॉ. ललित बत्रा ने कहा कि बच्चों में स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य के लिए सोने से 2 घंटे पहले स्क्रीन छोड़ने व व्यायाम करने की भी बच्चों को खासी जरूरत है।
हॉल-सी में गठिया रोग, ईएनटी एवं श्वसन, अंगदान, मोटापा एवं थायराइड, स्वस्थ त्वचा, ट्रॉमा व टीकाकरण जैसे विषयों पर सेशन हुए। सभी सेशन में भारी संख्या में आमजन व छात्र-छात्राओं की उपस्थिति देखी गई। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने गठिया, ईएनटी एवं श्वसन, अंगदान, मोटापा एवं थायराइड, स्वस्थ त्वचा, ट्रोमा तथा टीकाकरण के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की और ऑडियंस के सवालों के जवाब देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया। ईएनटी के सीनियर प्रोफेसर डॉ. मोहनिस ग्रोवर ने बहरेपन पर व्याख्यान देते हुए बताया कि इसके इलाज के लिए कॉकलियर इम्प्लांट सबसे अच्छा तरीका है, जो बच्चे के जन्म के बाद जितना जल्दी करते हैं उतने ही बेहतर परिणाम मिलते हैं। यह 5-6 साल की आयु तक करने पर ठीक परिणाम देते हैं। उसके बाद 2-3 साल तक लगातार स्पीच थेरेपी लेने पर ही पूरा रिजल्ट मिलता है। उन्होंने कहा कि यह इलाज काफी महंगा है, लेकिन राजस्थान ऐसा दूसरा राज्य बन गया है जहां यह अब बिल्कुल फ्री होगा। सीनियर प्रोफेसर डॉ. विनोद जोशी ने अस्थमा के कारण, लक्षण एवं उपचार के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इसके इलाज के लिए इन्हेलर सर्वोत्तम तरीका है, जो सबसे तेज, सुरक्षित और प्रभावी है। डॉ. आशीष ने कहा कि खर्राटों की बिल्कुल उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और आरम्भ में ही डॉक्टर से परामर्श से उपचार कराना चाहिए।