राजस्थान में महिलाओं और बच्चियों (women and girls) की सुरक्षा के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से प्रदेशभर में ‘सुरक्षा सखी समूह’ (security sakhi group) बनाए जाएंगे। प्रत्येक जिले के सभी थाना इलाकों में यह समूह बनेंगे। राजधानी जयपुर में ढ़ाई लाख सुरक्षा सखी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ये सुरक्षा सखी पुलिस की आंख और कान का भी काम करेंगी।
सुरक्षा सखी समूह के सदस्यों के पास निर्भया स्क्वायड और संबंधित थाने के एसएचओ का नंबर भी होगा ताकि कोई भी समस्या सामने आने पर सुरक्षा सखी सीधे उनसे संपर्क कर सके।
यह सुरक्षा सखी महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर काम करेगी। किसी भी महिला या बच्ची को किसी तरह की समस्या है तो सुरक्षा सखी के जरिये वह पुलिस की मदद ले सकती है। अगर किसी महिला को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा हो या फिर फोन कर परेशान कर रहा है। कोई व्यक्ति किसी बच्ची को घूर रहा है या फिर उसका पीछा कर रहा है तो वो सुरक्षा सखी की मदद ले सकती हैं।
इसके अलावा अगर महिला को घर वाले परेशान कर रहे हैं या फिर बुजुर्ग महिला को उसके बेटे ही परेशान कर रहे हैं तो सुरक्षा सखी उनकी मदद करेगी। राजधानी जयपुर में अब तक एक हजार से ज्यादा सुरक्षा सखी बनाई जा चुकी हैं। सुरक्षा सखी में शामिल होने वाली महिलाओं को सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
बच्चियों और महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराध को लेकर राज्य सरकार गंभीर है, लेकिन अभी भी महिलाएं और बच्चियां अपने साथ हो रहे अन्याय को लेकर पुलिस के पास जाने से झिझकती हैं। सुरक्षा सखी के जरिए पुलिस महिलाओं और बच्चियों में विश्वास पैदा करना चाहती है। इसके अलावा सुरक्षा सखी बनाए जाने से हर गली मोहल्ले में पुलिस का अपना एक सूचना तंत्र विकसित हो जाएगा। उसके जरिये अपराध को नियंत्रण करना काफी हद तक मुमकिन होगा।