जयपुर

राजस्थान विधानसभा के वास्तुदोष न सिर्फ विधायकों की जान लील रहे बल्कि प्रदेश के विकास को भी कर रहे बाधित

जयपुर। उदयपुर जिले की वल्लभनगर सीट से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का बुधवार को निधन होने के साथ ही राज्य विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 196 रह गई है। ऐसा पहली बार नहीं है कि विधानसभा सदस्यों की संख्या पूरी नहीं है, बल्कि नए विधानसभा भवन बनने के बाद ऐसी कोई विधानसभा नहीं रही, जिसके सभी सदस्य नई सरकार बनने तक पूरे रहे हों। इसी विधानसभा में अभी तक तीन विधायकों का असामयिक निधन हो चुका है।

इसके पीछे विधानसभा के ईशान कोण में बने शमशान को जिम्मेदार बताया जा रहा है, लेकिन शमशान के साथ विधानसभा भवन के वास्तुदोषों को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। जिसके कारण जनता को जनप्रतिनिधियों से हाथ धोना पड़ रहा है, वहीं प्रदेश का भी समुचित विकास नहीं हो पा रहा है।

विधानसभा का निर्माण होने के बाद इसमें सदन की कार्यवाही का संचालन वर्ष 2001 के दौरान हुआ था, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के वक्त विधानसभा अध्यक्ष परसराम मदेरणा की अगुवाई में सदन की कार्रवाई संचालित हुई थी।

शमशान दोष के चलते 2013 से 2018 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे कैलाश मेघवाल द्वारा पंडितों और तांत्रिकों का सहारा लिया गया, लेकिन कुछ दिनों की शांति के बाद फिर विधायकों के असामयिक निधन का सिलसिला चल निकला है। पंडितों और तांत्रिकों का कहना है कि भवन के ईशान कोण में श्मशान घाट होने के कारण यह सब घटित हो रहा है।

दूसरी ओर वास्तुशास्त्रियों का कहना है कि विधानसभा के उत्तर पूर्व दिशा में शमशान होने का नेगटिव इफेक्ट तो इस भवन पर पड़ रहा है, लेकिन भवन के अन्य वास्तुदोष भी इसके लिए उतने ही जिम्मेदार हैं। यदि वास्तुदोषों को दूर किया जाता है, तो शमशान के नेगेटिव इफेक्ट को दूर किया जा सकता है।

वास्तुशास्त्री एसके मेहता का कहना है कि भवन के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में भूमिगत पार्किंग, दक्षिण में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, दक्षिणी दीवार का नीचा होना, भवन के पानी की निकासी दक्षिण और पश्चिम दिशा की ओर होना व उत्तर पूर्व दिशा की दीवारें ऊंची होना व ईशान कोण का कटा होना प्रमुख वास्तुदोष हैं।

इन दोषों के कारण सिर्फ विधायकों का असामयिक निधन ही नहीं हो रहा, बल्कि दोष सरकारों के साथ प्रदेश के विकास को भी प्रभावित कर रहे हैं। तभी तो हर पांच वर्ष में सरकार बदल रही है। जनता सरकारों के काम से खुश नहीं रहती और वह हर बार सरकार बदल देती है। सरकारों में स्थायित्वता का अभाव होने के कारण प्रदेश का जो विकास होना चाहिए था, वह नहीं हो पा रहा है। नई सरकार पिछली सरकारों के काम को बंद कर नई परियोजनाएं शुरू करती है, लेकिन पांच साल बाद दूसरी सरकार आती है और वह पिछली सरकार की परियोजनाओं को बंद कर देती है।

मेहता का कहना है कि यदि विधानसभा के दक्षिण पश्चिम हिस्से के वास्तुदोषों को दूर कर दिया जाए तो उत्तर पूर्व के दोषों का प्रभाव भी धीरे-धीरे कम हो जाएगा। भूमिगत पार्किंग को भरवाने, हार्वेस्टिंग सिस्टम को उत्तर या पूर्व दिशा में स्थानांतरित करने, पानी की निकासी उत्तर पूर्व दिशा की ओर करने, दक्षिण पश्चिम दिशा की दीवार ऊंची करने से अच्छा प्रभाव देखने को मिलेगा।

शमशान को हटाया नहीं जा सकता, लेकिन सरकार चाहे तो मौजूदा शमशान में दाह संस्कार बंद करके जनता के लिए दूसरा शमशान बनाया जा सकता है। वहीं इस शमशान को पार्क में बदल दिया जाना चाहिए, ताकि उसके नेगेटिव इफेक्ट खत्म हो सकें। भवन के पूर्व दिशा में आधी बनी सड़क को पूरा कर दिया जाता है तो चारों ओर सड़क होने से यह भवन अपने आप में पॉवरफुल बन जाएगा। यदि ऐसा कर दिया जाता है तो प्रदेश को हर बार बदलने वाली सरकार के बजाए ज्यादा समय तक रहने वाली स्थाई सरकारें मिल पाएंगी और प्रदेश का चहुंमुखी विकास हो पाएगा।

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