ज्योतिष विज्ञान

क्या अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन..? क्या कहती है सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति (77 वर्ष) की कुंडली..?

अरुण कुमार, एस्ट्रोलॉजर

अमरीका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत हासिल करने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार रहे जो बाइडेन ऐसे राजनेता हैं जो अमरीका के सबसे युवा सीनेटर रहे हैं। और अब, वे अमरीका के 46वें राष्ट्रपति बने हैं जो वहां के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति भी हैं। वे छह बार सीनेटर और एक बार उपराष्ट्रपति भी रहे हैं। फिलहाल उनकी उम्र 77 वर्ष है।

जो बाइडेन का जन्म 20 नवंबर 1942 को पेंसिल्वेनिया के स्क्रोन्टन शहर में सुबह साढ़े आठ बजे हुआ था। जन्म के समय जो बाइडेन की कुंडली के लग्न में सूर्य और बुध और शुक्र स्थित थे जो कि उनकी कुंडली को और उनको सर्वोत्तम बनाता है परन्तु शनि का भी सूर्य को देखने से तरक्की की गति धीमी जरूर रहती है परंतु  इंसान सर्वोच्च पद पर पहुंचता है। यही वजह है कि जो बिडेन के राष्ट्रपति बनने तक की राह आसान नहीं रही है। पूर्व में उन्हें वर्ष 1988 और 2008 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में कामयाबी नहीं मिल सकी थी। अलबत्ता वे दो बार अमरीका के राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति भी रहे हैं। इसीलिए इस बार राष्ट्रपति पद के चुनाव में वे अमरीका की जनता के लिए जाना-पहचाना चेहरा थे और इसका लाभ भी उन्हें मिला।

जो बाइडेन के जन्म का विवरण

भारत और जो बाइडेन

जो बाइडेन के भारत के साथ अच्छे सम्बंध रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच में परमाणु समझौते में जो बाइडेन का विशेष सहयोग रहा था। गुरु की महादशा के कारण विचार सात्विक और न्याय पूर्ण रहने के कारण भविष्य में भी उनके सम्बंध भारत के साथ काफी अच्छे रहेंगे तथा वे दिल से भारत का साथ देंगे। उल्लेखनीय है कि भारत के राजनेताओं से उनके बहुत ही अच्छे ताल्लुकात हैं। अब उनके अमरीका के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमरीका के सम्बंध और प्रगाढ़ होंगे। राष्ट्रपति पद के चुनाव के के लिए धन जुटाने के अभियान के दौरान बाइडन ने कहा था कि भारत और अमरीका स्वाभाविक रूप से सहयोगी हैं। उनका कहना था कि भारत-अमरीका मिलकर संबंधों को और मजबूत बनाएंगे। यदि वे राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो भारत-अमरीका के बीच रिश्तों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन की जन्म कुंडली

चुनौतीपूर्ण होगा कार्यकाल

विश्व मानचित्र पर उनके प्रभाव के संदर्भ का आंकलन करें तो जो बाइडेन का कार्यकाल बहुत संघर्ष पूर्ण और चुनौती पूर्ण रहने वाला है। वर्तमान में बाइडेन को गुरू की महादशा चल रही है और गुरू नवम भाव में कर्क राशि में स्थित है, जिसकी वजह से इन्हें अत्यधिक मेहनत करनी पड़ेगी। गुरू की महादशा 20 सितंबर 2022 को खत्म हो रही है, चलित कुंडली मे गुरू अष्ठम भाव में होने से हो सकता है कि उन्हे सांस में बीमारी हो। हालांकि वे विश्व में सम्मान प्राप्त करेंगे और सुविख्यात होंगे। वे विद्वानों के सम्पर्क में रहेंगे और उनके आगे शत्रु पराजित होते रहेंगे। बाइडेन की कुंडली और चलित कुंडली में बुध, राहु और गुरू का राशि परिवर्तन जीवन में उथल- पुथल तो करवाता है लेकिन संघर्ष के बाद सर्वोच्च पद भी देता है।

महिलाओं की ओर से विशेष लाभ

शुक्र की वजह से उनको महिलाओं से विशेष फायदा होगा। महिलाओं के साथ होने से उनके भाग्य में विशेष वृद्धि होगी। 20 सिंतबर 2022 से शनि की महादशा शुरू हो रही है, यह समय अच्छा नहीं है। बाइडेन को इस दौरान बडा निर्णय लेने में बहुत दिक्कत आएगी और साथियों से सामंजस्य नही बैठेगा। उनके लिए गंभीर बीमारी का योग है। इस बात की भी प्रबल आशंका है कि किसी कारणवश बाइडेन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएं। उनके लिए परामर्श यही है कि वे अपने मित्रों और निकटतम व्यक्तियों से भी निश्चत दूरी बना कर रखें।

–           [email protected]

Related posts

क्या बताया ज्योतिषियों ने राजस्थान में बरसात का भविष्य.. 250 साल पुराने जयपुर में जंतर-मंतर के सम्राट यंत्र पर हुआ परीक्षण

Clearnews

साल का पहला सूर्यग्रहण आज, भारत में नहीं लगेगा सूतक

Clearnews

21वां अ.भा. ज्योतिष महासम्मेलन सम्पन्न ; ‘ज्योतिष द्वारा जीवन को सही दिशा देना संभव ‘ – सुखबीर सिंह जौनपुरिया

Clearnews