जयपुर

राजस्थान के पुरातत्व विभाग में तकनीकी कर्मचारियों की कमी, खपा रहे दूसरे कार्यों में

जयपुर। राजस्थान के पुरातत्व विभाग में तकनीकी कर्मचारियों और अधिकारियों की भारी कमी चल रही है, इसके बावजूद जो थोड़े बहुत तकनीकी अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें उनके मूल काम से हटाकर दूसरे कार्यों में खपाया जा रहा है। विभाग की यह बड़ी लापरवाही प्रदेश के स्मारकों और पुरा सामग्रियों पर भारी पड़ रही है।

ताजा मामला सामने आया है विभाग के नक्शानवीस का। इस नक्शानवीस से बरसों से मूल काम के बजाय अन्य कार्य कराए जा रहे हैं। अब एक अधिकारी की मनमानी के चलते इसे फिर से दूसरे कार्य में लगाया गया है। जिससे विभाग में नए शामिल होने वाले स्मारकों और उत्खनन साईटों के नक्शे बनाने का काम बाधित हो रहा है।

जानकारी के अनुसार कुछ समय पूर्व अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के अधीक्षक ने कर्मचारियों की कमी बताकर संग्रहालय के लिए विभाग से एक लिपिक की मांग की थी। विभाग की ओर से उन्हें एक लिपिक उपलब्ध करा दिया। अधीक्षक ने नए मिले लिपिक को मनमर्जी से किशनपोल बाजार स्थित विरासत म्यूजियम में लगा दिया और यहां तैनात नक्शानवीस को उन्होंने नाहरगढ़ किले पर लगा दिया।

हमेशा से विवादों में घिरे रहे अधीक्षक की इस कार्रवाई पर विभाग में सवाल खड़े होने लगे हैं। कहा जा रहा है कि वह विभाग में एक आभासी पुरातत्व विभाग चला रहे हैं, जहां वह खुद निदेशक के रूप में कर्मचारियों को इधर से उधर कर रहे हैं। जब उन्होंने अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के लिए लिपिक की मांग की थी तो फिर नए लिपिक को बिना पुरातत्व निदेशक की जानकारी के विरासत म्यूजियम में क्यों लगाया? क्या अब केंद्रीय संग्रहालय में कर्मचारियों की कमी नहीं खलेगी? निदेशक के आदेशों के बिना उन्होंने विरासत में लगे नक्शानवीस को कैसे नाहरगढ़ पर लगा दिया?

विभाग के सूत्रों के अनुसार एक महीने बाद विभाग में उत्खनन कार्य शुरू होने वाले हैं। उत्खनन टीम में विभाग में मौजूद दो नक्शानवीसों का शामिल होना जरूरी होता है। ऐसे में इस नक्शानवीस की जरूरत उत्खनन साइट पर पड़ेगी। बिना नक्शा बने उत्खनन की कार्रवाई सम्पूर्ण नहीं होती है, ऐसे में नक्शानवीस को नाहरगढ़ क्यों लगा दिया गया?

14 अगस्त को जयपुर में हुई भारी बारिश के बाद विभाग के मुख्यालय में चार-पांच फीट तक पानी भर गया था। इस पानी में प्रदेश के अधिकांश स्मारकों, महलों, किलों के नक्शे खराब हो गए थे, विभाग के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती पुराने नक्शों को फिर से तैयार करने की भी है। ऐसे में नक्शे तैयार कराने के बजाय विभाग ने नक्शानवीस को नाहरगढ़ पर क्यों लगा दिया?

इस मामले में अधीक्षक से जानकारी चाही गई, तो उनका कहना था कि विभाग के किसी भी मामले में सिर्फ निदेशक ही कुछ बता सकते हैं हम मीडिया में कुछ भी बोलने के लिए अधिकृत नहीं है। विभाग के निदेशक से भी फोन पर जानकारी चाही गई, लेकिन उन्होंने कई बार फोन करने के बावजूद फोन रिसीव नहीं किया।

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