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अद्भुत् गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफी टेस्ट मैचों की श्रृंखला का 2-1 से अद्भुत् अंत

कई बार भगवान आपकी परीक्षा लेते है। कठिन से कठिन लक्ष्य प्राप्त करते समय बारंबार संकट में डाल देते है। ऐसी कठिन परीक्षा में जो सफल होता है वह फलस्वरूप अमरत्व पाता है। ब्रिस्बेन में गब्बा के मैदान पर 19 जनवरी जो हुआ उससे यह भारतीय क्रिकेट टीम इतिहास मे जगह बनाकर अमरत्व प्राप्त कर गयी।

गेंदबाजों के चोटिल होने का सिलसिला जारी

सिडनी मुकाबले के बाद अश्विन, जड़ेजा और बुमराह को गंवा चुकी भारतीय टीम , सहायक गेंदबाज शार्दुल ठाकुर, नटराजन एवं सुंदर के साथ उतरी। दो टेस्ट मैच खेले हुए सिराज एवं एक टेस्ट खेले हुए नवदीप सैनी उनका साथ देने के लिए अंतिम ग्यारह मे चुने गये। पांच गेंदबाज लेकरं खेलना उस समय और भी बहुमूल्य हो गया जब सैनी चंद ओवर करके चोटिल हो गये। इंडिया बी टीम अब दस खिलाड़ियों के साथ दुनिया की एक मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया के सामने परीक्षा दे रही थी और परीक्षा केंद्र भी वो ब्रिस्बेन, जहां पर कंगारू 32 साल से कभी भी नहीं हारे थे।

वर्षा पानी और रनों की

सिडनी मे बारिश हुई थी पर खेल लगभग पूरा हुआ था। ब्रिस्बेन में हर रोज बारिश के चलते खेल में रुकावट आ रही थी। वहा स्टीव स्मिथ का लौट आया फॉर्म एवं लाबुशाने का सौभाग्य ऐसा रंग लाया कि 200 रनों को तरसने वाली ऑस्ट्रेलिया लगातार तीसरी बार 300 का आंकड़ा पार कर गयी। टिम पेन और कॅमरून ग्रीन ने भी अच्छी बल्लेबाजी करके 369 तक स्कोर को पहुंचा दिया जो इस श्रृंखला का सबसे बड़ा स्कोर था!

ढूंढ रहे थे गेंदबाज मिल गये हरफनमौला जेवर

शार्दुल ठाकुर एवं वाशिंगटन सुंदर इन दोनों ने ही क्रिकेट की शुरुआत बतौर बल्लेबाज की थी। शार्दुल ने एक ओवर में 6 छक्के मारने का करतब किया था तो सुंदर ने तमिलनाडु की युवा टीम में सलामी बल्लेबाज की भूमिका निभायी थी। नेट गेंदबाजी करने टिके रहे इन दोनों को क्वारंटाइन रहने के चलते खेलने का मौका मिला। दोनों ने पहली बारी मे 3-3 विकेट लिये। अच्छे गेंदबाज मिल गये हैं, यह सोचकर भारतीय टीम संभल रही थी। पहली पारी की शुरुआत ठीक होने के बावजूद कोई बल्लेबाज 50 का आंकड़ा भी न छूने से टीम 186 पर छह विकेट होने से संकट में आ गयी।

शार्दुल ठाकुर और सुंदर के ऊपर बाउंसर वर्षा हुई। शार्दुल ने आते ही हुक और पुल का इस्तेमाल किया और छक्का भी जड़ दिया। सुंदर ने अच्छी तकनीक दिखाई और गेंदबाजी का धैर्य से सामना किया। आंखे जमाने के बाद दोनों ने जमकर पलटवार किया। शार्दुल ठाकुर ने छक्का लगाकर सहवाग के अंदाज मे अर्धशतक पूरा किया। सुंदर ने भी शानदार 62 रन बनाये और इन दोनों की 123 रनों की 7वें विकेट की रेकॉर्ड साझेदारी ने भारत को 300 के पार पहुंचाया। पहली पारी में 100+ की बढ़त लेने का इरादा ध्वस्त हो गया और कंगारू सिर्फ 33 रन से आगे रहे। शार्दुल ठाकुर ने दूसरी पारी में भी 4 विकेट लिये और एक ही मैच में अर्धशतक, 7 विकेट और 3 कैच लेने वाले वो भारत के पहले खिलाड़ी बने। गेंदबाजोकी तलाश मे निकली भारतीय टीम को यह दो हरफनमौला जेवर मिल गये।

दूसरी पारी का रोमांच और युवा खिलाड़ियों का जलवा

शार्दुल की गेंदबाजी का बखूबी साथ युवा मोहम्मद सिराज ने निभाया। अपने तीसरे ही टेस्ट में पांच विकेट लेकर उन्होंने भारतीय टीम के अंतिम ग्यारह में अपना दावा मजबूत कर दिया है। शार्दुल ने कैच लपककर उनके पांचवे विकेट का जिस प्रकार से जश्न मनाया वह देखते ही बनता था और कप्तान रहाणे ने क्या अजिंक्य टीम भावना बनाई है, यह उसका परिचय था। वार्नर और स्टीव स्मिथ की बल्लेबाजी के चलते भारत को 328 रनों का दुर्गम लक्ष्य मिला। युवा शुभमन गिल के 91 रन और एक सिपाही की तरह हाथ ,पांव , सिर ,उंगलिया सब पर गेंदरूपी बमों की वर्षा झेलने वाले चेतेश्वर पुजारा के 56 रनों ने भारत के संघर्ष की नींव रखी। युवा ऋषभ पंत और सुंदर 56 गेंदों में 53 रनों की साझेदारी करके भारत को जीत की दहलीज पे लाये।

19 जनवरी और भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया का एक अनोखा रिश्ता रहा है!

19 जनवरी 2008 मे मंकीगेट के बाद भारत ने पर्थ पर कंगारुओं को धूल चटाई थी। फिर 19 जनवरी 2018 को भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली टेस्ट श्रृंखला जीती थी। एकदिवसीय मुकाबले भी 19 जनवरी को भारत ने जीते थे  और मंगलवार, 19 जनवरी 2021 को टेस्ट मैच में आखरी ओवरो में एकदिवसीय मैचों के अंदाज से छक्के, चौके लगाते हुए ऋषभ पंत ने नाबाद 89 रनों की जिम्मेदारी भरी पारी खेलकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलायी।

मेरे जीवन काल में भारत ने क्रिकेट के वर्ल्ड कप जीते, वर्ल्ड चॅम्पियनशिप जीती, 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ असंभव सी दिखने वाली जीत दर्ज की। इतना ही नहीं 2018 में कंगारुओं को प्रथम बार उनकी धरती पर हराया। परंतु एक नहीं दो नही 9 प्रथम पंक्ति के खिलाड़ी चोट और अन्य कारण से नहीं होने के बावजूद पूर्ण क्षमता से खेल रही कंगारू टीम को उनकी धरती पर हराना यह पराक्रम इन्हीं श्रेणी या उससे भी बढ़कर माना जायेगा। यह 9 खिलाड़ी एकसाथ फिर भारत के लिये भविष्य मे खेलने कि संभावना फिलहाल शून्य है पर तिरंगा लहराने ‌का मौका यह खिलाडी भविष्य में बार-बार देंगे यह तय है। आशा करते हैं, इन युवा खिलाड़ियों के साथ भारतीय क्रिकेट टीम का प्रदर्शन आगे भी बढ़िया रहेगा।

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