जयपुर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है जनजातीय धरोहर को वैज्ञानिक रूप में संरक्षित करने के लिए वैदिक ज्ञान आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। उन्होंने वेद विद्यापीठ के जरिए प्राचीन भारतीय ज्ञान को वैज्ञानिक रूप में सहेजने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि वेद ईश्वर प्रदत्त ऐसा लिखित संविधान है जिसमें जीवन जीने का सर्वोत्तम ढंग बताया गया है। उन्होंने वेद विद्यापीठ के जरिए भारतीय संस्कृति की इस अनुपम धरोहर को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।
मिश्र सोमवार को बांसवाड़ा स्थित गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय में वेद विद्यापीठ के डिजिटल प्लेटफार्म के लोकार्पण के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में अकेले बांसवाड़ा में ही ऋग्वेद की शांखयान शाखा की ऋचाओं के सस्वर गान करने वाले ज्ञाता हैं, वेद विद्यापीठ की स्थापना से उनके संरक्षण और सामवेद मंत्रों की गायन परम्परा को सहेजे जाने का भी महत्वपूर्ण कार्य हो सकेगा।
मिश्र ने कहा कि बांसवाड़ा क्षेत्र में वेद विद्यापीठ की स्थापना के साथ ही जनजाति समाज की वृक्षपूजा, प्रकृति और पर्यावरण प्रेम की अतीत की हमारी धरोहर को संरक्षित और सुरक्षित करने का कार्य भी विशेष रूप से किया जाए। वेद विद्यापीठ की स्थापना के अंतर्गत उन्होंने सनातन भारतीय परम्पराओं को आधुनिक विकास के साथ सहेजने पर जोर दिया।
मिश्र ने कहा कि प्राचीन ऋषियों ने तपोबल के द्वारा जो अनुभूतिजन्य ज्ञान प्राप्त किया, उसे पीढ़ी दर पीढ़ी वेदों के जरिए ही पहुंचाया गया है। इसीलिए वेद अनादि, अनन्त और सनातन श्रुति ज्ञान हैं। आदि शंकाराचार्य द्वारा वेदों के भाष्य लिखे जाने और वेदों के जरिए भारतीय संस्कृति का वैश्विक स्तर पर प्रसार किए जाने की चर्चा करते हुए उन्होंने शंकर के अद्वैत दर्शन और अनेकता में एकता की भारतीय संस्कृति को आज भी प्रासंगिक बताया।
इस अवसर पर मिश्र ने वेद विद्यापीठ की विद्वत चर्चा श्रृंखला ‘सारस्वत’ के शुभारंभ की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि वेद विज्ञान से जुड़े विविध आयामों पर होने वाली चर्चा का जनहित में सार्वजनिकरण करने के भी प्रयास किए जाएं।