मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आगामी वर्षों में ग्रामीण स्तर पर प्लम्बर, इलैक्ट्रीशियन एवं फिटर की मांग बढ़ेगी। ऐसे में, राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (RSLDC) के माध्यम से अधिक से अधिक ग्रामीण युवाओं (youth) को प्लम्बर, इलैक्ट्रीशियन एवं फिटर जैसे कोर्स में प्रशिक्षित किया जाए ताकि हर गांव में प्रशिक्षित कारीगर उपलब्ध हो सकें। युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण केंद्र की आवश्यकता हो तो उसके लिए भी तैयारी की जाए।
गहलोत सोमवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से RSLDC की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्किल डवलपमेंट (skill development) के माध्यम से अधिक से अधिक युवाओंं को रोजगार प्रदान करने के लक्ष्य तय कर विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित किया जाए। साथ ही, उन्होंने बजट घोषणाओं की समयबद्ध क्रियान्विती एवं पर्याप्त मॉनिटरिंग करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि निगम द्वारा चुनी गई ट्रेनिंग पार्टनर फर्म एमओयू (MOU) की शर्तों के मुताबिक निर्धारित संख्या में प्रशिक्षित युवाओं को प्लेसमेंट उपलब्ध कराएं। स्किल डवलपमेंट के लिए तय की गई शर्तों के अनुसार उपलब्ध इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं सुविधाओं के बारे में पूरी छान-बीन कर ट्रेनिंग पार्टनर फर्म का चयन किया जाए।
भिखारियों को कौशल प्रशिक्षण से जोड़ा जाए
गहलोत ने कहा कि शहरों को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के लिए भिखारियों को कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने भिक्षावृत्ति उन्मूलन एवं भिखारियों को रोजगार से जोड़ने की योजना की सराहना करते हुए इसे हर जिले में लागू करने के निर्देश दिए। योजना का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि भिक्षावृत्ति में शामिल अन्य लोगों को भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
स्किल ट्रेनिंग के बाद रोजगार हासिल करने वाले भिखारियों की सेवाएं अन्य भिखारियों को प्रशिक्षण देकर मुख्यधारा में लाने के लिए मास्टर ट्रेनर्स की तरह ली जाएं। उन्होंने भिखारियों के पुनर्वास एवं उनके प्रशिक्षण के लिए RSLDC एवं सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग को समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।