नाहरगढ़ में होगा घमासान, जनता हो रही परेशान
नगर निगम हेरिटेज अभ्यारण्य भूमि पर पट्टों के आवेदन कर रहा स्वीकार, वहीं जेडीए ईको सेंसेटिव जोन में भी पट्टे देने को नहीं तैयार
जयपुर। राजस्थान सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रशासन शहरों के संग (administration with the cities) अभियान (campaign)’ के लिए प्रशासनिक अमला काफी लंबे समय से तैयारियां कर रहा था लेकिन राजधानी में ही इस योजना में गहरा अंतरविरोध (contradiction) सामने आ रहा है। राजधानी के नाहरगढ़ अभ्यारण्य को लेकर यह अंतरविरोध है। जहां एक ओर जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) नाहरगढ़ अभ्यारण्य के ईको सेंसेटिव जोन में भी पट्टे देने से कतरा रहा है, वहीं नगर निगम जयपुर हेरिटेज बेहिचक अभ्यारण्य भूमि में मांगे जा रहे पट्टों के आवेदनों को स्वीकार कर रहा है। ऐसे में इस इलाके में अवैध कब्जेधारी जहां मिलीभगत और पैसे के दम पर पट्टे लेने की जुगत में लगे हैं, वहीं वैध निवासी पट्टे नहीं मिलने की आशंका से परेशान हैं।
नगर निगम हेरिटेज की ओर से प्रशासन शहरों के संग अभियान में आमेर हवामहल जोन में आए पट्टों के आवेदनों पर आपत्तियों के लिए अखबरों में विज्ञप्तियां प्रकाशित कराई जा रही है, जिसमें गुर्जर घाटी, भोमिया बस्ती, वार्ड-11 जलमहल के सामने, इंदिरा कॉलोनी, आमेर कस्बे, देवी खोल, कनक घाटी में पट्टे मांगे गए हैं। यहां अधिकांश इलाका नाहरगढ़ अभ्यारण्य का क्षेत्र है और अभ्यारण्य में मिलीभगत से अवैध कॉलोनियां बसी है।
नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को इस बात का पूरा पता है कि अभ्यारण्य क्षेत्र में पट्टे जारी नहीं किए जा सकते हैं, इसके बावजूद निगम यहां आवेदन स्वीकार कर रहा है। इस संबंध में हेरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर, आयुक्त अवधेश मीणा और जोन उपायुक्त सुरेंद्र सिंह यादव से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन निगम में हर कोई इस मामले से बचने में लगा है।
वहीं दूसरी ओर जेडीए अभ्यारण्य क्षेत्र के बाहर ईको सेंसेटिव जोन में भी पट्टे जारी करने से कतरा रहा है। जानकारी के अनुसार पिछली गहलोत सरकार के समय आयोजित प्रशासन शहरों के संग अभियान में जयपुर की गुर्जर घाटी के निवासियों ने पट्टों के लिए आवेदन किया था। उस समय इन लोगों को पट्टे नहीं मिल पाए थे।
प्रदेश में गहलोत सरकार फिर से बनने पर इन लोगों ने फिर से पट्टों के लिए कार्रवाई शुरू कर दी थी, लेकिन जेडीए ने 2019 में घोषित ईको सेंसेटिव जोन का हवाला देते हुए इन लोगों को पट्टे देने से साफ इन्कार कर दिया, जबकि ईको सेंसेटिव जोन में सिर्फ वाणिज्यिक गतिविधियों की मनाही है। नियमानुसार ईको सेंसेटिव जोन में राजस्व भूमि पर बसी आवासीय कॉलोनियों को पट्टे दिए जा सकते हैं। जेडीए के इन्कार के बाद गुर्जर घाटी के लोग एनजीटी में गए और सोमवार को ही एनजीटी ने इस मामले में जेडीए से जवाब तलब किया है।
ज्ञापन देकर दर्ज कराई आपत्ति
अभ्यारण्य क्षेत्र में पट्टों के आवेदनों की भरमार को देखते हुए वन प्रेमी रामकरण मीणा, निवासी कागदीवाड़ा ने नगर निगम हेरिटेज के आमेर हवामहल जोन के उपायुक्त को ज्ञापन भेज कर आपत्ति दर्ज कराई है। मीणा ने वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उप वन संरक्षक वन्यजीव चिडिय़ाघर, सहायक वन संरक्षक वन्यजीव नाहरगढ़ को भी यह ज्ञापन प्रेषित किया है।
पट्टे जारी करने से पहले ली जाए वन विभाग से एनओसी
मीणा का कहना है कि भोमिया बस्ती, गुर्जर घाटी, देवी खोल, कनक घाटी का 80 फीसदी इलाका नाहरगढ़ अभ्यारण्य का आरक्षित क्षेत्र है, जो 1961 की अधिसूचना से अधिसूचित है। ऐसे में नगर निगम को यहां पट्टे आवंटित करने से पहले वन विभाग से एनओसी लेना अति आवश्यक है। यदि अभ्यारण्य की आरक्षित वन भूमि पर निगम की ओर से पट्टे जारी कर दिए जाते हैं, तो यह वन एवं वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम-1972, वन संरक्षण अधिनियम-1980 और 12 दिसंबर 1996 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कहलाएगा। इसलिए इस ज्ञापन के जरिए उनकी आपत्ति दर्ज की जाए।
मामले संज्ञान में आए तो जांच कराएंगे
इस मामले में उप वन संरक्षक वन्यजीव, चिडिय़ाघर अजय चित्तौड़ा का कहना है कि अभ्यारण्य क्षेत्र में पट्टे मांगने का मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। यदि ऐसे मामले सामने आते हैं, तो हम जरूर इनकी जांच कराएंगे।