यूडी टैक्स वसूल रही स्पैरो कंपनी के घोटाले की शिकायत पहुंची एसीबी के पास
जयपुर। ग्रेटर नगर निगम जयपुर में सीईओ के नाम पर ठेकेदारों से रिश्वत लेने के आरोप में पकड़े गए वित्तीय सलाहकार अचलेश्वर मीणा, दलाल धन कुमार और अनिल से पूछताछ के बाद सोमवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी/ACB) की टीम ने ग्रेटर निगम में फाइलों का खंगालना शुरू कर दिया है। एसीबी टीम ने अखिलेश्वर मीणा के कमरे से निकलने वाली फाइलों का मूवमेंट पता करते हुए एकाउंट्स डिपार्टमेंट से जुड़े दूसरे अधिकारियों-कर्मचारियों से भी पूछताछ भी की। उधर इस मामले के तार उच्चाधिकारियों (higher officials) से जुडऩे के बाद एसीबी के पास उच्चाधिकारियों के घपलों-घोटालों (scams) की शिकायतें (complaints) पहुंचनी शुरू हो गई है।
हनुमानगढ़ टाउन निवासी एक व्यक्ति ने एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक दिनेश एमएन को निगम में यूडी टैक्स वसूल कर रही स्पैरो कंपनी के मामले में चल रहे घोटाले की शिकायत की है। शिकायत की मूल बात यह है कि स्पैरो कंपनी यूडी टैक्स वसूलने में अब तक नाकामयाब रही है। निगम के राजस्व शाखा के अधिकारी-कर्मचारी राजस्व वसूल कर रहे हैं, लेकिन निगम के अधिकारी शर्तों में हेराफेरी का बहाना बनाकर मोटे कमीशन के बदले कंपनी को वर्ष 2017 से ही बिना काम के भुगतान कर रहे हैं।
वर्ष 2021 में नगर निगम ग्रेटर में 18.15 करोड़ रुपए का टैक्स वसूला गया, जो कि निगम की राजस्व शाखा ने कुर्की कार्रवाई के बदौलत वसूल किया गया और निगम के खाते में जमा कराया गया, लेकिन अधिकारी मिलीभगत से निगम के खाते में जमा राशि का भी कमीशन कंपनी को दे रहे हैं। ऐसे में इस घोटाले की भी जांच कर मुकद्दमा दर्ज किया जाए, क्योंकि इनमें से एक अधिकारी वही है, जिसे हाल ही में एसीबी ने दो दलालों के साथ गिरफ्तार किया है।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम ग्रेटर जयपुर ने नगरिय विकास कर वसूली का काम स्पैरो कंपनी को दे रखा है। कंपनी जितना यू डी टैक्स वसूल करती है, उसे 10 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है। जिसके तहत नगर निगम और कंपनी के बीच अनुबंध हुआ है। तत्काल कमेटी द्वारा जानबूझकर स्पैरो कंपनी को लाभ देने की नीयत से यह निर्णय लिया कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, अन्य न्यायालय, डीएलबी, कलेक्टर इत्यादि के यहां यू डी टैक्स के जो केस चल रहे हैं, उन मामलों में जो राजस्व की प्राप्ति होगी उसका कमीशन स्पैरो कंपनी को नहीं दिया जाएगा।
इस निर्णय मेंं कुर्की से वसूल की गई राजस्व को जानबूझकर कमेटी द्वारा छोड़ दिया गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि नगर निगम के अधिकारी कुर्की की कार्रवाई करके यूडी टैक्स वसूल करते हैं और उस वसूल की गई राशि का कमीशन स्पैरो कंपनी को दिया जाता है। इसी के चलते कंपनी ने काम करना छोड़ दिया है और अधिकारियों से मिलीभगत कर बिना काम के ही कमीशन ले रही है। यह भी एक बहुत बड़ा घोटाला है जिसकी जांच होनी आवश्यक है।
निगम की इस कमेटी में तत्कालीन दोनों निगमों के आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त, फाइनेंस एडवाइजर, डायरेक्टर लॉ, दोनों निगमों के उपायुक्त राजस्व, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (हैडक्वाटर), दोनों निगमों के रेवेन्यू अधिकारी और प्रोग्रामर शामिल थे। जिस समय यह कमेटी बनी थी, उस समय निगम में बोर्ड नहीं था और अधिकारियों ने मनमाने तरीके से कुर्की से प्राप्त यूडी टैक्स को छोड़ दिया गया।
वर्तमान अधिकारी इसलिए दोषी
उस समय यह निर्णय जिन अधिकारियों ने किया, वह अब निगम में नहीं है, लेकिन वर्तमान अधिकारियों को इस गड़बड़ का पूरा पता है, इसके बावजूद सभी अधिकारी मौन हैं और चुपचाप कंपनी को गलत भुगतान कर रहे हैं। ऐसे में वर्तमान अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि बिना काम के भुगतान मामले में वह चुप बैठे हैं? उन्होंने इस गलती को सुधारने का प्रयास अब तक क्यों नहीं किया? क्या वर्तमान अधिकारी भी स्पैरो कंपनी से मिलीभगत करके उसे बिना काम के भुगतान कर रहे हैं? इन सवालों के जवाब निगम के अधिकारी तो देने से रहे, तो एसीबी को ही इस मामले में जांच करके सरकारी राजस्व को चूना लगाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।
निगम में मचा हड़कंप
ग्रेटर नगर निगम में सोमवार सुबह एसीबी की टीम के पहुंचते ही हड़कंप मच गया। इस दौरान टीम ने अचलेश्वर मीणा के कमरे से निकलकर फाइल जिन-जिन स्तर पर मूव होती है, उन सभी जगह अधिकारियों-कर्मचारियों से पूछताछ भी की। साथ ही टेंडर देने, कार्यों के निरीक्षण, माप, बिल पास करने और भुगतान से संबंधित सभी फाइलों को जांचा गया। यह मामला इस लिए संगीन हो गया है, क्योंकि िअचलेश्वर मीणा के पास से एक डायरी मिलने की बात सामने आई है, जिसमें उच्च अधिकारी का भी 3 प्रतिशत कमीशन होने का जिक्र है।