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वर्ल्ड हैरिटेज सिटी, जयपुर में धरोहर (Heritage) हो रही धराशायी, त्रिपोलिया बाजार में टूटने लगी खुली सुरंग की जालियां, विरासत की बर्बादी पर जयपुर नगर निगम हैरिटेज मौन

वर्ल्ड हैरिटेज सिटी बन चुकी राजस्थान की राजधानी जयपुर में विरासत की बर्बादी बदस्तूर है। स्मार्ट सिटी कंपनी की ओर से वर्ष 2017-18 में त्रिपोलिया बाजार में ईसरलाट की ओर छोटी चौपड़ से बड़ी चौपड़ के बीच बनी खुली सुरंग के जीर्णोद्धार का कार्य कराया गया और यहां लगी 400 से अधिक जालियों को बदल दिया गया था। अब देखरेख के अभाव में इन जालियों और खुली सुरंग में तोड़फोड़ शुरू हो गई है।

खुली सुरंग में लगाई गई जालियों को टूटे एक वर्ष से अधिक का समय हो चुका है लेकिन अभी तक इनकी सुध नहीं ली गई है। शहर की विरासत पर निगरानी रखने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी स्टेट हैरिटेज कमेटी, नगर निगम हैरिटेज, निगम में बनी हैरिटेज कमेटी, जयपुर स्मार्ट सिटी इस मामले में गायब सी हो गयी हैं। न तो किसी ने खुली सुरंग में हुई तोड़फोड़ की जांच की और न ही किसी ने यह जानने की जहमत उठाई कि इन जालियों को किसने और क्यों तोड़ा?

मनमानी से बदली जालियां, कमीशन के फेर में बदल डाला मूल स्वरूप
खुली सुरंग में लगी जालियों को आकाशी-पाताली जालियां कहा जाता है। इनकी खासियत यह थी कि अंदर से बाहर का सब कुछ दिखाई देता है लेकिन बाहर से किसी को यह नजर नहीं आता था कि अंदर क्या है। जयपुर के स्थापत्य के अनुरूप यह जालियां चूने से बनी हुई थी। इन जालियों में 90 फीसदी जालियां सुरक्षित थी और अपने मूल स्वरूप में थी लेकिन स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने कमीशन के फेर में सभी जालियों को बदलवा दिया। मूल स्वरूप के विपरीत यहां पत्थर की जालियां लगाई गयीं और उनमें आकाशी-पाताली इफेक्ट भी समाप्त करा दिया गया।

पहले भी उठा था सवाल, क्या जालियां सुरक्षित रह पाएंगी
जालियां बदले जाने के दौरान भी सवाल उठे थे कि क्या ये जालियां सुरक्षित रह पाएंगी और कितने दिनों तक सुरक्षित रह पाएंगी लेकिन उस समय स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने इन सवालों को दरकिनार कर दिया था। अधिकारी सिर्फ यही चाहते थे कि किसी तरह जालियां बदल जाएं और उनके कमीशन का खेल हो जाए। अधिकारियों ने कभी कंपनी की ओर से किए गए कार्य की सुरक्षा या देखरेख का कोई उपाय नहीं किया।

निगरानी और कार्रवाई की जिम्मेदारी नगर निगम की
हैरिटेज कमेटी के चेयरपर्सन आरके विजयवर्गीय का कहना है कि प्राचीन संपत्तियों की देखरेख का काम नगर निगम हैरिटेज करता है। यदि परकोटे में विरासत को कोई नुकसान पहुंचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। हैरिटेज कमेटी तो एडवाइजरी सेल है। किसी सलाह या फिर किसी काम की मंजूरी के लिए ही कोई मामला हमारे पास आता है। कमेटी का काम निगरानी का नहीं है।

हैरिटेज कमेटी की सलाह के बिना हो रहे मनमाने काम
हैरिटेज कमेटी के सदस्य पीके जैन का कहना है कि कमेटी की कोई मानता ही नहीं है। स्मार्ट सिटी के अधिकारी मनमर्जी से काम करा रहे हैं। स्मार्ट सिटी की ओर से कोई भी काम शुरू करने से पहले कमेटी से राय नहीं ली जाती है बल्कि कंपनी के अधिकारी तो हमारे ऊपर (हैरिटेज कमेटी) पर आरोप लगाते हैं कि पुरातत्व नियमों की आड़ में हमारे काम को रोकने की कोशिश की जाती है। उधर नगर निगम हैरिटेज कमेटी में एसटीपी शशिकांत ने कहा कि उन्हें जालियां तोड़े जाने की जानकारी नहीं है। इस संबंध में संबंधित जोन को कार्रवाई करनी होगी। मैं संबंधित जोन उपायुक्त और अधिशाषी अभियंता से जानकारी लूंगा।

नगर निगम हैरिटेज के मुंह पर बंधा मास्क
विरासत को बर्बाद करने के मामले में नगर निगम हैरिटेज के जनप्रतिनिधि हों या फिर अधिकारी, सभी ने अपने मुंह पर पट्टी बांध रखी है। हैरिटेज की बर्बादी के मामलों में महापौर मुनेश गुर्जर ने चुप्पी साध रखी है, मानो इस सबमें उनकी मौन स्वीकृति हो। नगर निगम हैरिटेज बनने के बाद से विरासत की बर्बादी के सैंकड़ों मामले सामने आ चुके हैं लेकिन एक भी मामले में कार्रवाई नहीं हुई बल्कि हर मामले मामले में निगम जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की कोई न कोई मिलीभगत ही सामने निकल कर आती है।

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