शहरी गरीब महिलाओं को करोना काल में मिला रोजगार जयपुर। वैश्विक महामारी कोरोना से पूर्व चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों के अलावा शायद ही कोई पीपीई किट के बारे में जानता था। यह किट विदेशों से आयात किए जाते थे, लेकिन कोरोना काल में सिलाई में दक्ष महिलाओं ने आयातित किटों से बेहतर किट सिले और बाजार से सस्ते दरों में उपलब्ध करा दिए, वह भी सिर्फ यू-ट्यूब पर वीडियो देखकर और चिकित्सकों से तकनीकी जानकारी लेकर।
यह कारनामा किया कोटा जिले की शहरी गरीब महिला स्वयं सहायता समूह ने। इन समूहों की ओर से अभी तक 600 से ज्यादा पीपीई किट, 600 चिकित्सक किट, 300 पेशेंट गाउन और 1 लाख 15 हजार से ज्यादा फेस मास्क सिले हैं।
दीनदयाल अंत्योदय योजना शहरी आजीविका मिशन, नगर निगम कोटा की प्रबंधक हेमलता गांधी ने बताया कि सामाजिक संस्थाएं पीपीई किट खरीदकर अस्पतालों में उपलब्ध करवा रही थी। उन्होंने यह किट समूह की सिलाई में दक्ष महिलाओं को दिखाया, उन्हें यू-ट्यूब पर बड़ी इंडस्ट्रियों में पीपीई किट की कटिंग और सिलाई के वीडियो दिखाए, तो महिलाओं ने कपड़ा मिलने पर वह ऐसे किट तैयार करने की बात कही।
चिकित्सकों ने बताया कि यह किट 70 से 90 जीएसएम कपड़े से तैयार होते हैं। इसके बाद बाजार से पीपीई किट का कपड़ा खरीदा गया और किट निर्माण कर चिकित्सकों को दिखाया गया। चिकित्सकों ने किट को परफेक्ट बताया। इसके बाद बड़ी मात्रा में कपड़ा खरीद कर दक्ष महिलाओं से इनकी सिलाई कराई गई।
बाजार में 70 जीएसएम पीपीई किट की कीमत 350 रुपए से शुरू है, लेकिन महिला समूह ने किट 250 रुपए में उपलब्ध कराया। इसके बाद अस्पताल और सामाजिक संस्थाएं इन समूहों से किट लेने लगे। बाजार में किट स्टैण्डर्ड साइज में मिलते हैं, जबकि समूह चिकित्सको की साइज के अनुसार व उनकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मात्र 45 मिनट में किट तैयार करके दे देती है।
कई संस्थाएं उन्हें रॉ मेटिरियल उपलब्ध कराती हैं। उन्हें मात्र 70 रुपए सिलाई लेकर किट तैयार कर दिए जाते हैं। गांधी ने बताया कि कोरोना काल में यदि चिकित्सा विभाग उन्हें किट, मास्क आदि की सप्लाई का आर्डर दें तो शहरी गरीब महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और उन्हें आर्थिक संबल मिलेगा।
स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक उज्जवल राठौड़ ने बताया कि महिलाओं द्वारा अभी तक राजस्थान में 6 लाख 82 हजार से अधिक फेस मास्क प्रदेश के निकायों को सप्लाई किए हैं। प्रदेश में करीब 703 महिला सहायता समूह की 6820 महिलाएं इस काम में जुटी हैं।
समूह नगरीय निकायों को 10 रुपए कीमत में फेस मास्क उपलब्ध करवा रहे हैं। नगरीय निकाय कर्मचारियों, सफाईकर्मियों, स्ट्रीट वेंडर्स को उपलब्ध करवा रहे हैं, ताकि कार्य के दौरान कर्मचारी कोरोना संक्रमण से बचे रहें। इन समूहों को अब तक कुल 30 लाख रुपए की आय हो चुकी है।