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ग्रेच्युटी नियम: निजी और सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, हाई कोर्ट ने ग्रेच्युटी को लेकर बड़ा फैसला दिया

बेंगलूरु। यदि किसी कर्मचारी को घोटाले या कंपनी को नुकसान पहुंचाने के कारण निलंबित किया जाता है, तो सेवा से निलंबन और बाद में हुए नुकसान की भरपाई ग्रेच्युटी की राशि नहीं की जाएगी। कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि नियोक्ता बर्खास्त कर्मचारी की रिकवरी प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व ग्रेच्युटी को जब्त नहीं कर सकता। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज ने सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन की याचिका को खारिज करते हुए की। इसमें नियंत्रण प्राधिकरण के आदेश को चुनौती दी गई थी।
प्राधिकरण ने जीसी भट्ट द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार करते हुए निगम को 12 दिसंबर 2023 से 10 प्रतिशत ब्याज के साथ 7,88,165 रुपये की ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया। निगम ने कहा कि बर्खास्त कर्मचारी के कारण 1,71,68,033 रुपये का नुकसान हुआ है। ऐसे में उसे यानी निगम को ग्रेच्युटी राशि रोकने और नुकसान की भरपाई का अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि जब किसी कर्मचारी को धोखाधड़ी या कंपनी को नुकसान पहुंचाने के कारण निलंबित किया जाता है, तो सेवा से निलंबन और बाद में हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जाएगी। खंडपीठ ने कहा कि सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन वसूली प्रक्रिया शुरू किए बिना ग्रेच्युटी अपने पास नहीं रख सकता। बिना प्रक्रिया शुरू किए, नियोक्ता यह कहे कि नुकसान हुआ है, तो यह केवल एक तर्क रहेगा। इसे फैसला नहीं माना जाएगा और इस आधार पर कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता।
ग्रेच्युटी का नियम क्या है?
• यदि कोई कर्मचारी किसी कंपनी में लगातार चार साल और 240 दिन तक काम करता है, तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाता है।
• ग्रेच्युटी की गणना में चार साल और 240 दिन को पांच साल माना जाता है। इसकी राशि अधिकतम 20 लाख रुपये हो सकती है।
• ग्रेच्युटी की गणना के लिए अंतिम मासिक वेतन, सेवा अवधि और 15/26 का उपयोग किया जाता है।
• ग्रेच्युटी की गणना का सूत्र है:
ग्रेच्युटी = (अंतिम वेतन) x (15/26) x (सेवा के वर्ष)
• ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत, कर्मचारी को हर वर्ष 15 दिन का वेतन ग्रेच्युटी के रूप में मिलता है।
• यह नियम उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनके पास कम से कम दस कर्मचारी हैं।
ग्रेच्युटी पर कानूनी नोटिस
कर्मचारी ग्रेच्युटी पाने का हकदार होता है। यदि कंपनी इसे देने से इनकार करती है, तो नियोक्ता पर ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 का उल्लंघन करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा जा सकता है। यदि नोटिस के बाद भी संस्थान भुगतान नहीं करता है, तो कर्मचारी जिला श्रम आयुक्त से शिकायत कर सकता है। यदि कंपनी दोषी पाई जाती है, तो उसे ग्रेच्युटी की राशि के साथ-साथ ब्याज और जुर्माना भी देना होगा।
कब देना होगा ब्याज?
कर्मचारी को ग्रेच्युटी के लिए आवेदन करना चाहिए। यदि आवेदन के 30 दिन बाद भी ग्रेच्युटी की राशि उसके बैंक खाते में नहीं पहुंचती है, तो कंपनी को तय राशि पर ब्याज देना होगा।
कर्मचारी की मृत्यु के मामले में नियम
यदि किसी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मृत्यु हो जाती है और उसने कंपनी में एक वर्ष काम किया है, तो ग्रेच्युटी के पांच साल के नियम को लागू नहीं किया जाएगा। कर्मचारी की ग्रेच्युटी की राशि नामित व्यक्ति को दी जाती है।
ग्रेच्युटी में कर छूट
ग्रेच्युटी अधिनियम 1972 के तहत, कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी में कर छूट की सीमा 20 लाख रुपये है। यह छूट कर्मचारी के पूरे कार्यकाल में प्राप्त ग्रेच्युटी पर लागू होती है।

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