जयपुर। अपने बेबाक बयानों से चर्चाओं में रहने वाले स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल एक बार पिफर चर्चाओं में आ गए हैं। धारीवाल ने दो बार हारे नेताओं को तीसरी बार टिकट नहीं देने के फार्मूले पर सवाल उठाए हैं। इस दौरान उन्होंने बीडी कल्ला का उदाहरण दिया, जिसको लेकर कांग्रेस में कहा जा रहा है कि बीजेपी—आरएसएस से जुड़े लोगों को साथ रखने के कारण धारीवाल ने कल्ला को उदाहरण बनाया।
कोटा शहर कांग्रेस की जिलास्तरीय कार्यशाला में धारीवाल ने कहा कि संगठन स्तर पर फैसला कर लेने के बाद हर हाल में उस पर कायम रहना चाहिए, फैसले करने वाले ही उस पर कायम नहीं रहे तो फिर वो हमसे क्या उम्मीद करते हैं? धारीवाल ने कहा कि पहले भी 2 बार के हारे व्यक्ति को तीसरी बार टिकट नहीं देने की पाबंदी लगाई गई थी, हालांकि कइयों को टिकट नहीं दिए, लेकिन बीकानेर की बारी आई तो बीडी कल्लाजी जो दो बार हारे हुए थे उन्हें तीसरी बार टिकट दे दिया गया।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि नगर निगम के एक कर्मचारी को लेकर धारीवाल और कल्ला के बीच टसल हो गई है।कहा जा रहा है कि नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर के पूर्व ओएसडी मनमोहन शेखावत को लेकर यह टसल बताई जा रही है। मनमोहन महापौर सौम्या गुर्जर के सभी कार्य देखते थे। सूत्रों का कहना है कि निगम में भाजपा—आरएसएस विचारधारा के अधिकारी—कर्मचारी बहुसंख्या में है और महापौर का ओएसडी बनने का मौका उसी अधिकारी—कर्मचारी को मिलता है, जो महापौर की पार्टी की विचारधारा का हो।
सूत्रों के अनुसार महापौर सौम्या गुर्जर के निलंबन के दौरान उनके ओएसडी मनमोहन शेखावत का तबादला दक्षिणी राजस्थान के एक जिले में कर दिया गया था, लेकिन कुछ ही समय बाद शेखावत वापस जयपुर आ गए और मंत्री बीडी कल्ला के निजी स्टॉफ में नजर आने लगे।इसी बात को लेकर धारीवाल की कल्ला से नाराजगी बताई जा रही है कि उन्होंने संघ—भाजपा विचारधारा के एक व्यक्ति को अपने निजी स्टॉफ में लगा रखा है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सौम्या गुर्जर प्रकरण में धारीवाल को मुंह की खानी पड़ी है। गुर्जर न्यायालय से अपना निलंबन समाप्त करा कर महापौर की कुर्सी पर दोबारा आ बैठी। ऐसे मे उनके ओएसडी का मंत्री के निजी स्टॉफ में शामिल होना धारीवाल को हजम नहीं हो रहा है। सूत्रों के अनुसार कुछ समय पूर्व शेखावत को लेकर धारीवाल और कल्ला के बीच बातचीत भी हुई थी। इसके बाद धारीवाल ने कल्ला पर यह निशाना साधा है।