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नाहरगढ़ अभ्यारण्य में वाणिज्यिक गतिविधियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में होगी अपील

परिवादी ने कहा फैसले में हमारी 90 फीसदी मांगें पूरी, फिर भी फैसला अधूरा, दोषियों को नहीं मिली सजा

जयपुर। नाहरगढ़ अभ्यारण्य और फोर्ट में चल रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का फैसला आ चुका है और एनजीटी ने यहां सभी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद करते हुए यहां भविष्य में होने वाली सभी गतिविधियों के लिए वन विभाग को उत्तरदायी बनाया है। मतलब इस फैसले के बाद फोर्ट की सभी गतिविधियां भी वन विभाग के नियंत्रण में आ गई है, इसके बावजूद परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।

तिवाड़ी का कहना है कि हमने जो पीआईएल लगाई थी, उसमें हमारी 90 फीसदी मांग पूरी हो गई है, लेकिन दोषियों का दोष सिद्ध हो जाने के बावजूद न ते कोई जुर्माना लगाया गया और न ही किसी को सजा मिली। कुछ बेहद महत्वपूर्ण मामले भी अनसुलझे रह गए हैं, जो भविष्य में विवाद के कारण बन सकते हैं। इसी को लेकर वह सुप्रीम कोर्ट में अपील में जा रहे हैं।

तिवाड़ी ने बताया कि फोर्ट में सभी वाणिज्यिक गतिविधियों को एनजीटी ने अवैध माना, ऐसे में स्थापना से लेकर अब तक पुरातत्व विभाग और आरटीडीसी ने यहां से जितना भी राजस्व अर्जित किया, वह वन विभाग के पास आना चाहिए, ताकि इस पैसे को नाहरगढ़ अभ्यारण्य के विकास में लगाया जा सके।

जब एनजीटी ने मान लिया कि अभ्यारण्य में वन एवं वन्यजीव अधिनियमों का उल्लंघन हुआ है, तो फिर दोषियों को सजा क्यों नहीं दी गई? इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आर्डर क्यों नहीं दिए गए? इसके अलावा वन एवं वन्यजीव अधिनियमों के तहत दोषियों के खिलाफ कोई जुर्माने की भी कार्रवाई नहीं की गई है। हम मांग करेंगे कि पुरातत्व विभाग, आरटीडीसी, एडमा के अधिकारियों को सजा मिले और उनपर शास्तियां लगाई जाएं।

एनजीटी ने फोर्ट में वैक्स म्यूजियम चलाने की अनुमति दी है, जबकि इस म्यूजियम का संचालन पुरातत्व विभाग नहीं कर रहा है। इस म्यूजियम के संचालकों के पास वन विभाग की एनओसी नहीं है और न ही वन विभाग ने इसे लगवाया है। जब तक वन विभाग इसको एनओसी नहीं देता है, तब तक यह अवैध है और वन विभाग अपने अधिनियमों के तहत इसकी अनुमति नहीं दे सकता है। आदेश में एनजीटी ने इस बात का उल्लेख नहीं किया है कि किन तथ्यों के आधार पर उन्होंने वैक्स म्यूजियम को लीगल माना है।

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