श्रीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग में जेड-मर्ग सुरंग का उद्घाटन किया। इसके साथ ही अगले साल तक ज़ोजिला सुरंग के पूरा होने की संभावना है। इन परियोजनाओं से श्रीनगर और लेह के बीच हर मौसम में जुड़ाव संभव होगा। यह लद्दाख क्षेत्र में तैनात बलों के लिए सैन्य गतिशीलता और लॉजिस्टिक सहायता को बढ़ावा देगा और लद्दाख के पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा।
ज़ोजिला सुरंग की स्थिति:
• ज़ोजिला सुरंग का 60% काम पूरा हो चुका है और इसे सितंबर 2026 तक तैयार करने की योजना है।
• ज़ोजिला पास पर भारतीय सेना ने 1947-48 के जम्मू-कश्मीर अभियान में शानदार जीत हासिल की थी। यह पहला मौका था जब इतनी ऊंचाई पर टैंकों का उपयोग किया गया।
हर मौसम में जुड़ाव का महत्व:
• श्रीनगर-लेह मार्ग और मनाली-लेह मार्ग वर्तमान में केवल दो मौजूदा मार्ग हैं, लेकिन ये सर्दियों में 5-6 महीने तक बंद रहते हैं।
• लद्दाख क्षेत्र को हर मौसम में जुड़ाव प्रदान करना न केवल सैन्य तैयारियों बल्कि क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
• मनाली से लेह के लिए नया निम्मू-पदम-दरचा मार्ग 2027 तक चालू हो जाएगा। यह लद्दाख के लिए तीसरा मार्ग होगा।
जेड मर्ग सुरंग की विशेषताएं:
• लंबाई: 6.4 किमी, ऊंचाई: 8,652 फीट।
• खर्च: ₹2,717 करोड़।
• यह श्रीनगर और लेह के बीच यातायात को पूरे साल सुगम बनाएगी।
• यात्रा समय 2 घंटे से घटाकर 15 मिनट कर देगी।
• सुरंग में एक समानांतर आपातकालीन सुरंग, भारी वाहनों के लिए 3.7 किमी का क्रीपर लेन, और कुल 5.5 किमी के पहुंच मार्ग शामिल हैं।
पर्यटन और स्थानीय लाभ:
• यह सड़क सोनमर्ग और अन्य गंतव्यों तक बेहतर पहुंच प्रदान कर सर्दियों और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी।
• स्थानीय कृषि उत्पादों को श्रीनगर से लेह तक पहुंचाना अधिक सुगम और समयबद्ध होगा।
अन्य प्रमुख परियोजनाएं:
1. सेला सुरंग (अरुणाचल प्रदेश):
o दुनिया की सबसे ऊंची जुड़वां-लेन सुरंग (13,000 फीट से ऊपर)।
o तेजपुर से तवांग को जोड़ती है और सेना की त्वरित तैनाती सुनिश्चित करती है।
2. शिंकू ला सुरंग (लद्दाख):
o ऊंचाई: 15,800 फीट, यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी।
o मनाली-लेह दूरी को 60 किमी तक कम करेगी।
3. ससोमा-डीबीओ मार्ग:
o 130 किमी लंबी सड़क जो भारत के सबसे उत्तरी सैन्य ठिकाने दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचाएगी।
रणनीतिक महत्व:
• लद्दाख में चीन की गतिविधियों के बीच यह परियोजना भारत की रणनीतिक तैयारियों को मजबूत करेगी।
• हर मौसम में संपर्क क्षेत्र की जनसांख्यिकीय स्थिरता बनाए रखने, सैन्य तैनाती में तेजी लाने और रखरखाव लागत को कम करने में मदद करेगा।
इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से न केवल भारत की सैन्य ताकत में वृद्धि होगी, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी नई ऊंचाइयां मिलेंगी। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी योजना का हिस्सा हैं, जो भारत की सीमाओं को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।