जयपुर

विधानसभा चुनावों में बनेंगे नए-नए समीकरण, जोड़-तोड़ अभी से शुरू

बेनीवाल का सरकार पर हमला, मुख्यमंत्री गहलोत को पता है पेपर लीक में कौन-कौन शामिल, इसीलिए सीबीआई को जांच नहीं

पायलट-किरोड़ी साथ हों तो आरएलपी जीते 140 सीटें

जयपुर। साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव इस बार काफी हंगामेदार होंगे। राजे गुट को नजरअंदाज कर भाजपा प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के चेहरे के साथ चुनाव में उतर सकती है, वहीं कांग्रेस में गहलोत और पायलट गुट में गुत्थमगुत्था लगातार चल रही है। बसपा, एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, आजाद समाज पार्टी के साथ स्थानीय आरएलपी दमखम के साथ ताल ठोक सकती है। ऐसे में नए-नए समीकरण बनेंगे। नेताओं और कार्यकर्ताओं को ललचाया जाएगा और उनकी इधर से उधर भागमभाग शुरू हो सकती है। इसकी शुरूआत आरएलपी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने शुरू कर दी है। बेनीवाल ने कहा है कि यदि पायलट कांग्रेस और किरोड़ी लाल मीणा भाजपा छोड़कर उनके साथ आ जाएं, तो आरएलपी 140 सीटें ला सकती है।

मंगलवार को पेपर लीक प्रकरण में शहीद स्मारक पर धरना देने के बाद मुख्यमंत्री आवास के घेराव के लिए सिविल लाइंस पहुंचे हनुमान बेनीवाल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि सचिन पायलट और किरोड़ी लाल मीणा जैसे बड़े नेताओं को अब कांग्रेस-भाजपा का दामन छोड़कर आरएलपी के साथ आना चाहिए। यदि ये दोनों नेता कांग्रेस-भाजपा का साथ छोड़कर आरएलपी के साथ आते हैं, तो इन दोनों के साथ मिलकर आरएलपी विधानसभा चुनावों में 140 सीटें जीतेगी। अगर पायलट राजस्थान की चिंता करते हैं तो उनको अब फैसला लेना चाहिए। अब समय बहुत कम बचा है।

पेपर लीक प्रकरण में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बेनीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पता है कि पेपर लीक प्रकरण में कौन-कौन शामिल है। इसीलिए गहलोत सीबीआई को जांच नहीं दे रहे हैं। राजस्थान में सभी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं। सरकार आंख बंद करके बैठी है, जिससे लाखों युवाओं का भविष्य खतरे में आ गया है। ऐसे में पेपर लीक प्रकरण की सीबीआई जांच होना जरूरी हो जाता है। सीबीआई जांच नहीं हुई तो आरएलपी विधानसभा से लेकर सड़क तक आंदोलन करेगी।

बेनीवाल ने आरोप लगाया कि पेपर लीक प्रकरण में मुख्यमंत्री निवास के अधिकारी और कांग्रेस नेता भी शामिल है, इसीलिए मुख्यमंत्री इस प्रकरण की जांच सीबीआई से नहीं करा रहे हैं, बल्कि खुद ही क्लीनचिट देने में लगे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर सीबीआई ने इस मामले में जांच की तो उनकी सरकार के मंत्री और अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं।

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