जयपुर

राजस्थान में ​कोविड प्रोटोकॉल पालना में कुछ दिन जागरुकता के बाद होगी सख्ती

बूस्टर डोज और बच्चों के टीकाकरण पर शीघ्र निर्णय के लिए केंद्र को पत्र लिखेंगे मुख्यमंत्री गहलोत

कोविड समीक्षा बैठक

जयपुर। राजस्थान में बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर राजस्थान सरकार दोबारा सख्ती पर आएगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि दुनिया के कई देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट तेजी से फैल रहा है। देश के कई राज्यों में भी इसके मामले सामने आने के कारण वापस सख्ती बरतना शुरू कर दिया गया है। ऎसे में प्रदेशवासी कोविड प्रोटोकॉल और नाइट कर्फ्यू की प्रभावी पालना करें। अन्यथा राज्य सरकार सख्त कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी अब कोविड टीकाकरण शीघ्र अनिवार्य किया जाएगा।

गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कोविड समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आमजन ओमिक्रॉन वेरिएंट को गंभीरता से लें और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतें। आमजन आवश्यक रूप से मास्क पहनें और भीड़भाड़ से बचें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कुछ दिनों तक अभियान चलाकर आमजन को मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग के लिए जागरूक किया जाए। बाद में प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने पर सख्ती बरतें। साथ ही, चिकित्सा विभाग चिन्हित जगहों पर आरटी-पीसीआर टेस्ट की संख्या बढ़ाए, जिससे संक्रमित व्यक्तियों की शीघ्र पहचान हो सके।

गहलोत ने कहा कि कोविड की तीसरी लहर से बचाव के लिए जरूरी है कि निर्धारित आयु समूह का शत-प्रतिशत टीकाकरण हो। साथ ही, जिन्हें दोनों डोज लग चुकी है उन्हें बूस्टर डोज लगे। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बूस्टर डोज के संबंध में अपनी सहमति व्यक्त की है। ऎसे में भारत सरकार इस पर शीघ्र निर्णय लेकर देशभर में बूस्टर डोज लगाना प्रारंभ करे। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार 60 साल से ऊपर के लोगों एवं फ्रंटलाइन वर्कर को बूस्टर डोज लगाने पर गंभीरता से विचार करे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य सरकार आग्रह करेगी कि पात्र व्यक्तियों को बूस्टर डोज लगे और बच्चों के लिए भी टीकाकरण शुरू किया जाए।

गहलोत ने कहा कि सभी ने कोविड की दूसरी लहर का भयावह मंजर देखा है, जिसमें ऑक्सीजन और बैड को लेकर गंभीर संकट पैदा हो गया था। ब्लैक फंगस के सैंकड़ों मरीज सामने आए थे। ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण विशेषज्ञ लगातार इस ओर इशारा कर रहे हैं कि तीसरी लहर से बचाव की सभी पूर्व तैयारियां की जाएं। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे वैक्सीनेशन आवश्यक रूप से कराएं, क्योंकि यही कोविड संक्रमण से बचाव का कारगर उपाय है। राज्य सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि कोई भी टीका लगवाने से मना न करे। वैक्सीनेशन अनिवार्य करने के लिए शीघ्र दिशा-निर्देश भी जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी, 2022 तक सभी वैक्सीन की दूसरी डोज आवश्यक रूप से लगवाएं और जिला कलेक्टर्स शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन सुनिश्चित करें।

गहलोत ने कहा कि पहली और दूसरी लहर में राज्य सरकार ने कोरोना का बेहतरीन प्रबंधन किया। साथ ही इस कठिन दौर में सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने में भी राजस्थान अग्रणी रहा। कोविड के कारण अपनों की जान गंवाने वाले परिवारों को राज्य सरकार ने उचित पैकेज देकर संबल प्रदान किया है। नियमों में शिथिलता बरतते हुए पीड़ित परिवारों को सहायता दी गई है।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि विभाग द्वारा एक विशेष अभियान चलाकर पात्र व्यक्तियों का सम्पूर्ण टीकाकरण किया जाएगा। विदेशाें से आने वाले आगंतुकों पर विशेष निगरानी दल द्वारा नजर रखी जाएगी, जिससे संक्रमित व्यक्ति की पहचान हो सके। तमिलनाडु की तर्ज पर पात्र व्यक्तियों के लिए अनिवार्य टीकाकरण लागू किया जा सकता है।

गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि संभावित तीसरी लहर को देखते हुए प्रशासन द्वारा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सख्ती बरती जाए। पुलिस और प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि लोग कोविड प्रोटोकॉल की प्रभावी पालना करें।

चिकित्सा विभाग के शासन सचिव वैभव गालरिया ने टीकाकरण कार्यक्रम एवं कोविड प्रबंधन के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया। उन्हाेंने बताया कि दिसंबर माह में अब तक वैक्सीन की 95 लाख डोज लगाई जा चुकी है। राजस्थान की 88.50 प्रतिशत पात्र जनसंख्या को प्रथम डोज तथा 71.50 प्रतिशत को द्वितीय डोज लगाई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में ओमिक्रॉन वेरिएंट के 22 केसेज मिले हैं। पॉजिटिव केसों में सभी सैंपल्स की जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है।

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से ओमिक्रॉन वेरिएंट की वस्तुस्थिति के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि ओमिक्रॉन 110 देशों में फैल चुका है। यूरोप में यह बहुत तेजी से फैल रहा है और कई देशों ने लॉकडाउन जैसे सख्त कदम भी उठाए हैं। चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र सिंह, डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. आरके गुप्ता आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

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