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12 वर्ष पानी नहीं भरा, तो उखाड़ फेंका मड पंप

पुरा सामग्रियों की बर्बादी में अधिकारियों की जिम्मेदारी-पार्ट 2

जयपुर। राजधानी के केंद्रीय संग्रहालय में प्राचीन धरोहरों और पुरा सामग्रियों की बर्बादी के लिए पुरातत्व विभाग ही जिम्मेदार है। इसका एक ओर सबूत सामने आया है, जो बता रहा है कि अधिकारियों की लापरवाही पुरा सामग्रियों पर भारी पड़ गई और अमूल्य धरोहरें नष्ट हो गई।

पुरातत्व मुख्यालय में पानी भरने की पुरानी समस्या थी। हर वर्ष थोड़ी बारिश में भी मुख्यालय में पानी आ जाता था। इससे निपटने के लिए वर्ष 2008 में पश्चिम दिशा में रैंप के नीचे एक टैंक बनाकर मडपंप लगाया गया था। इस पंप के जरिए मुख्यालय में भरे पानी को निकाल कर रामनिवास बाग के सावन-भादो गार्डन की ओर से सी-स्कीम की ओर जा रहे नाले में डाल दिया जाता था। विभाग ने पंप चलाकर पानी निकालने की जिम्मेदारी विभाग के एकमात्र मिस्त्री को सौंप रखी थी।

करीब 12 वर्षों तक मुख्यालय में पानी नहीं भरा तो इस पंप की जरूरत महसूस नहीं हुई। मुख्यालय में तैनात इंजीनियरिंग अधिकारियों नें जाम पड़े मडपंप को कुछ वर्षों पूर्व हटवा दिया और उसके स्थान पर दूसरा मडपंप नहीं लगवाया।

जानकारी के अनुसार 14 अगस्त की सुबह राजधानी में अतिवृष्टि हुई। खरबूजा मंडी की ओर से आ रहा गंदा नाला चालू नहीं होने के कारण मुख्यालय की पूर्वी दिशा में जल जमाव हो गया और यह पानी पार्किंग व टिकट विंडो की ओर से होता हुआ अल्बर्ट हॉल में भर गया।

सुबह नौ बजे से 11 बजे तक जोरदार बारिश हुई। इस दौरान कई कर्मचारी मुख्यालय आ चुके थे। पंप चलाने वाला मिस्त्री भी मुख्यालय में मौजूद था, लेकिन पंप नहीं होने के कारण यह सभी कर्मचारी असहाय हो गए।

मामले को दबाने में लगे अधिकारी

विभागीय सूत्रों का कहना है कि अधिकारी मडपंप के मामले को दबाने में जुटे हुए हैं, ताकि उनपर आंच नहीं आए। अभी तक उच्चाधिकारियों को 14 अगस्त को टैंक में मडपंप उपलब्ध नहीं होने की जानकारी नहीं दी गई है। यहां तक की निदेशक की अध्यक्षता में हुई सभी विभागों की बैठक में भी इस पंप का मामला नहीं उठाया गया।

एक दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी

इस मामले में अब पुरातत्व विभाग के अधिकारी अल्बर्ट हॉल के अधीक्षक पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं कि पूरा भवन अधीक्षक के अधीन है, उन्हें ध्यान रखना चाहिए था। अधीक्षक कह रहे हैं कि यहां कोई मडपंप लगा हुआ ही नहीं था। यदि मडपंप था तो मेरी जानकारी में नहीं है। इसके बारे में विभाग की इंजीनियरिंग शाखा बताएगी। वहीं इंजीनियरिंग शाखा की ओर से आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एडमा) पर जिम्मेदारी डाली जा रही है, कि भवन के रखरखाव का जिम्मा एडमा पर है।

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