जयपुर। राजस्थान सरकार ने प्रदेश में हरियाली तथा वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित परियोजना के लिए 30.03 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त बजट राशि तथा कैम्पा योजना के तहत स्वीकृत अतिरिक्त वार्षिक कार्ययोजना राशि के मद में 65.34 करोड़ रुपए जारी करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में वित्त विभाग के प्रस्तावों का अनुमोदन कर दिया है।
प्रदेश में वनों के संरक्षण के लिए जल भराव क्षेत्रों का विकास कर हरियाली बढ़ाने, भूमि कटाव रोकने, वन सुरक्षा समितियों के गठन और प्रशिक्षण जैसी गतिविधियों के लिए नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित आरआईडीएफ-26 फेज-4 परियोजना स्वीकृत की गई है। इस योजना के लिए वर्ष 2020-21 में पूर्व में स्वीकृत लगभग 15 करोड़ रुपए की राशि के विरूद्ध 30.03 करोड़ रुपए से अधिक राशि अतिरिक्त बजट प्रावधान के रूप में स्वीकृत की गई है, ताकि विभाग विभिन्न मदों के माध्यम से आवश्यकता अनुसार कार्य सम्पादित करा सके।
वन विभाग के एक अन्य प्रस्ताव के अनुसार, कैम्पा योजना के तहत भारत सरकार ने अतिरिक्त वार्षिक कार्ययोजना के कार्य सम्पादित कराने के लिए सहमति दी है। इस क्रम में गहलोत ने कैम्पा योजना में विभिन्न मदों के तहत कुल 65.34 करोड़ रुपए अतिरिक्त वार्षिक कार्ययोजना राशि जारी करने को भी मंजूरी दे दी है।
सरकार की ओर से वित्तीय सुविधा के बावजूद वन विभाग के अधिकारी वन विकास के लिए तैयार नहीं दिखाई देते हैं। जिसके चलते प्रदेश में वनों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। प्रदेश छोड़ विभाग के अधिकारी राजधानी स्थित एकमात्र नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य का भी सही से देखभाल नहीं कर पा रहे हैं।
इस अभ्यारण्य में लंबे समय से अवैध व्यावसायिक गतिविधियां संचालित है। शिकायत होने के बाद विभाग ने इसकी जांच भी कराई और जांच रिपोर्ट में शिकायतकर्ता के तथ्य सही पाए गए, इसके बावजूद विभाग के अधिकारी अभ्यारण्य में गैर वानिकी गतिविधियां रोकने, वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने, वन संपदाओं को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ मुकद्दमे दर्ज कराने में गुरेज कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार की ओर से अतिरिक्त मदद के बाद भी प्रदेश में वनों का विकास हो पाएगा?
नाहरगढ़ मामले में वन अधिकारियों की ओर से लगातार लीपापोती की कार्रवाई की जा रही है, जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद है और लगातार वन भूमि पर अतिक्रमण कर व्यावसायिक उपयोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि वन अधिकारियों की मिलीभगत से ही अभ्यारण्य में लगातार अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है और अधिकारी कार्रवाई के नाम पर मौन साधे बैठे हैं।