कुछ भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा ऑस्ट्रेलिया में कथित रुप से जैविक बुलबुले ( बायो बबल) का उल्लंघन करने की खबरें आ रही है।अगर यह सच है तो यह मामला बड़ा ही गंभीर है। कोविड काल में जब खेल जगत पूरी तरह से हलचल बिल्कुल ही ठप थीं तब यह बायो बबल एक आशा की किरण लेकरं आया। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय मुकाबले ही नहीं, बहुराष्ट्रीय खिलाड़ियों से युक्त इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) भी संभव हो पाया।
बायो बबल मे रहना कुछ तालाबंदी जैसा ही है, बस, यहां परिवार बड़ा होता है, इसमे सभी खिलाड़ी, प्रशिक्षक एवं अन्य सहयोगी शामिल होते हैं। सभी सदस्यों को बाहर किसी से भी प्रत्यक्ष रूप में मिलने की इजाजत नहीं होती क्योंकि इससे कोरोना संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है।
आईपीएल एवं अन्य मुकाबलों में भी हुआ उल्लंघन
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात मे आईपीएल के समय चेन्नई सुपर किंग्स के कुछ खिलाड़ी बायो बबल का उल्लंघन करते पाये गये। उसका नतीजा भी तुरंत सामने आया जबकि कुछ खिलाड़ी कोरोना संक्रमित हुए और कुछ प्रमुख खिलाड़ियों को वापस भारत आना पड़ा। इसके बाद चेन्नई फिर अच्छा प्रदर्शन ना कर पायी और प्रथम बार निर्णायक मुकाबलों में नहीं दिखी। ऐसे में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफी शृंखला खतरे से बाहर रहेगी, इसकी गुंजाइश कम ही है।
भारतीय टीम को लग सकता है भारी झटका
भारत के जिन खिलाड़ियों के नाम एवं चित्र प्रसारित हुए हैं, उनमे रोहित शर्मा, शुभमन गिल, रिषभ पंत, नवदीप सैनी एवं पृथ्वी शॉ हैं। अगर यह फिर से क्वारंटीन किये जाते हैं तो परेशानियों से झूझकर उभरी हुई भारतीय टीम फिर से संकट में चली जायेगी। टीम का संतुलन बिगड़ जायेगा एवं चुनाव के लिये पर्याप्त खिलाड़ी भी उपलब्ध नहीं होंगे।
बायो बबल एक ऐसा साधन है जिसने मुश्किल समय में खेल को आगे बढ़ाया है और इसीलिए इसका सम्मान आवश्यक है अन्यथा खेलों का आयोजन खतरे मे पड़ जायेगा और भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी तो और भी सावधान रहें, उनकी लोकप्रियता का कोई मुकाबला नहीं है और ये खुले में आ गये तो जनता सोशल डिस्टंसिंग भूल जाये, इसमें कोई शक भी नहीं है।