जयपुरराजनीति

आखरी क्षण तक इंतजार: तीसरे मोर्चे की भाजपा-कांग्रेस की रणनीति में सेंध की तैयारी

गत चुनावों के मुकाबले इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे के रूप में बसपा, रालोपा व अन्य पार्टियों को अधिक फायदे की उम्मीद है।
चुनावों के मुकाबले इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्च के रूप में बसपा, रालोपा व अन्य पार्टियों को अधिक फायदे की उम्मीद है। इस उम्मीद को हकीकत में बदलने के लिए ये पार्टियां भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ही अपनी रणनीति का खुलासा करेगी।
बसपा ने भले ही एक छोटी सूची जारी की है, लेकिन अन्य किसी ने पार्टी ने उम्मीदवारों को लेकर अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। दोनों प्रमुख पार्टी के प्रत्याशियों के नाम सामने आने के बाद जातिगत समीकरण के साथ असंतुष्टों के प्रभाव को देखते हुए तीसरे मोर्चे की पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित करेगी।
बसपा को मिली थी छह सीट
सीटों की संख्या में गत चुनावों में तीसरी शक्ति 6 सीट बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) को मिली थी। यह अलग बात है कि इन विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था। यही कारण है कि बसपा ने सबसे पहले उन सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं, जहां उनके सिंबल पर चुनाव जीत कर विधायक कांग्रेस में चले गए। बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा के मुताबिक पार्टी से दगा करने वालों को हम टिकट नहीं देंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अन्य प्रत्याशियों के नाम तय करने के लिए अभी हमारे पास समय है।
रालोपा ने भी नहीं खोले पत्ते
इसी तरह गत चुनाव में तीन सीटें जीतने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) अभी चुनाव प्रचार में जुटी है। अभी तक कहा जा रहा था कि पार्टी पश्चिमी राजस्थान में सक्रिय रहेगी। हालांकि पार्टी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल का प्रचार अभियान कुछ ओर इशारा कर रहा है। पार्टी की रथ यात्रा जोधपुर व आस-पास के जिलों की करीब 27 सीटें कवर कर चुकी है।
16 अक्टूबर से रालोपा की सत्ता संकल्प यात्रा
अब 16 अक्टूबर से नागौर से फिर सत्ता संकल्प यात्रा शुरू हो रही है जो यहां से सीकर, झुंझुनूं, चूरू से हनुमानगढ़, गंगानगर व बीकानेर जाएगी। बेनीवाल का कहना है कि करीब पन्द्रह प्रत्याशियों की सूची जल्द जारी होगी। सूत्रों के अनुसार भाजपा-कांग्रेस में टिकट नहीं मिलने के आसार को देखते हुए कई दिग्गज रालोपा के सम्पर्क में है। इससे दोनों प्रमुख पार्टी के शीर्ष नेतृत्व भी आशंकित है।
यहां है आम आदमी पार्टी की सक्रियता
दिल्ली के बाद पंजाब में जीत दर्ज करने वाली आप पार्टी ने प्रदेश में सक्रियता बढ़ाई हुई है। दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी यहां कई दौरे कर चुके हैं। पार्टी पंजाब से सटे हनुमानगढ़, गंगानगर व अन्य क्षेत्र में अधिक सक्रिय प्रतीत हो रही है। इसी तरह दक्षिण राजस्थान में हाल ही गठित भारत आदिवासी पार्टी भी क्षेत्र में सक्रिय है।
गठबंधन पर भी आशंका
हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का भाजपा के साथ गठबंधन है। हालांकि प्रदेश में इसके आसार कम हैं। लक्ष्मणगढ़ से भाजपा प्रत्याशी सुभाष महरिया के भाई नंदकिशोर महरिया ने जेजेपी के टिकट पर फतेहपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। जबकि इस सीट से भाजपा श्रवण चैधरी को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।
निर्दलीयों का गणित रहेगा सबसे रोचक
वोट प्रतिशत के अनुसार वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के बाद सबसे अधिक वोट प्रतिशत निर्दलीय विधायकों का रहा था। इन चुनाव में 13 सीटों पर निर्दलीयों ने बाजी मारी थी। वर्तमान में दावेदारों की संख्या को देखते हुए यह साफ है कि निर्दलीय उम्मीदवार भी अधिक रहेंगे। हालांकि दोनों पार्टियों के प्रत्याशी तय होने के बाद तय होगा कि निर्दलीय कितने मजबूत उम्मीदवार होंगे।

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