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निर्भय, ब्रह्मोस… भारत ने क्यों झोंकी है लंबी दूरी की मिसाइलों पर ताकत !

चीन हिंद महासागर में तेजी से अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ा रहा है। चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी भारत के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। इस कारण भारत ने भी अपनी रक्षात्मक तैयारियों को तेज कर दिया है। भारतीय नौसेना तेजी से लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भारतीय नौसैनिक मिसाइल प्रोग्राम में निर्भय सबसोनिक क्रूज मिसाइल के डेरिवेटिव, एक नई सबसोनिक नेवल एंटी-शिप मिसाइल सीरीज का विकास, सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल के लिए रेंज एक्सटेंशन प्रोग्राम, ब्रह्मोस एनजी का विकास और बैलिस्टिक लॉन्ग रेंज एंटी शिप मिसाइल शामिल हैं। अगर भारतीय नौसेना को ये हथियार मिल जाते हैं, तो हिंद महासागर में उसकी रेंज काफी ज्यादा बढ़ जाएगी।
निर्भय मिसाइल के डेरिवेटिव बना रही नौसेना
निर्भय सबसोनिक क्रूज मिसाइल की घोषित रेंज 1000 किमी तक है। इसे डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (।क्म्) ने विकसित किया है। जनवरी 2023 तक इस मिसाइल के आठ सफल उड़ान परीक्षण किए जा चुके थे। उड़ान के दौरान विंग डिप्लॉयमेंट और उड़ान के दौरान इंजन स्टार्ट करने पर मिसाइल को लक्ष्य विमान की ओर घुमाने के लिए थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल जैसी तकनीकें सिद्ध हो चुकी हैं। 5 मीटर तक की बहुत कम ऊंचाई वाली उड़ान और नेविगेशन प्रणाली को भी प्रौद्योगिकी विकास के हिस्से के रूप में सिद्ध किया गया है। एडीई का इरादा मिसाइल और उसके वेरिएंट के साथ 100ः स्वदेशीकरण हासिल करने का है जो इन सिद्ध प्रौद्योगिकियों को विरासत में मिलेगा।
स्वदेशी टर्बो फैन इंजन से मिलेगी ताकत
डीआरडीओ के जीटीआरई का बनाया हुआ छोटा टर्बो फैन इंजन (एसटीएफई) इस मिसाइल से स्वदेशीकरण के प्रयास का प्रमुख हिस्सा है। कई गड़बड़ियों की रिपोर्ट्स के बाद हाल के वर्षों में व्यापक परीक्षण के बाद यह सिद्ध हो चुका है कि यह इंजन अच्छी तरह से काम कर रहा है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस तिरुवनंतपुरम में अपनी यूनिट के साथ एसटीएफई इंजन का उत्पादन कर रही है, जो अपनी उत्पादन क्षमता को प्रतिवर्ष 18 इंजन तक बढ़ा रही है। जीटीआरई इंजन के परीक्षण और उत्पादन गतिविधियों का समर्थन करने के लिए और अधिक औद्योगिक भागीदारों की भी तलाश कर रहा है, जिनकी आवश्यकता सैकड़ों में है।
हर साल 18 इंजन बना रहा डीआरडीओ
डीआरडीओ के जीटीआरई द्वारा विकसित छोटा टर्बो फैन इंजन (एसटीएफई) इंजन इस स्वदेशीकरण प्रयास का एक प्रमुख हिस्सा है। कई रिपोर्ट की गई गड़बड़ियों के बाद, हाल के वर्षों में व्यापक परीक्षण के लिए कई इकाइयों के निर्माण के साथ एसटीएफई सिद्ध हो गया है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस तिरुवनंतपुरम में अपनी इकाई के साथ डीआरडीओ के लिए एक उत्पादन एजेंसी रही है, जो अपनी उत्पादन क्षमता को प्रति वर्ष 18 इंजन तक बढ़ा रही है। जीटीआरई इंजन के परीक्षण और उत्पादन गतिविधियों का समर्थन करने के लिए और अधिक औद्योगिक भागीदारों की भी तलाश कर रहा है, जिनकी आवश्यकता सैकड़ों में है।
500 किमी होगी मिसाइल की रेंज
इस मिसाइल की खासियतें भी सामने आई हैं। इसकी घोषित सीमा 500 किमी है, जबकि लंबाई 5.6 मीटर, व्यास 0.505 मीटर और पूरा वजन 975 किलोग्राम है। यह मिसाइल मैक 0.7 की गति से उड़ान भर सकती है। टर्मिनल फेज में इस मिसाइल के मार्गदर्शन के लिए आरएफ सीकर के साथ आईएनएस/जीपीएस नेविगेशन की सुविधा से लैस है। एसएलसीएम में दो प्रकार के वॉरहेड होंगे, पीसीबी और एयरबर्स्ट, जो इस पर निर्भर हो सकता है कि एसएलसीएम एलएसीएम या एएससीएम संस्करण का है या नहीं। एसएलसीएम निर्भय की तुलना में उल्लेखनीय रूप से अधिक कॉम्पैक्ट है, जिसमें क्रूज फेज की लंबाई 0.4 मीटर कम है, व्यास 15 मिमी कम है और द्रव्यमान में कमी है। एसएलसीएम की काफी कम रेंज संभवत पनडुब्बियों के टारपीडो ट्यूबों में मिसाइल को फिट करने की आवश्यकता से जुड़ा हुआ है।
लैंड अटैक वर्जन पर भी हो रहा काम
इस बीच, निर्भय का एक लंबी दूरी का वेरिएंट भी विकसित किया जा रहा है। लंबी दूरी की – लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलआर-एलएसीएम) के रूप में जानी जाने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 1,500 किमी तक होने की उम्मीद है। विकास पूरा होने पर यह मिसाइल भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना दोनों में शामिल की जाएगी। यह मिसाइल ब्रह्मोस के लिए उपयोग किए जाने वाले यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल (यूवीएलएम) सेल से फायर करने में सक्षम होगी। एसएलसीएम और एलआर-एलएसीएम के लिए एयरफ्रेम गोदरेज कंपनी बना रही है।
ब्रह्मोस मिसाइल बनी रहेगी भारतीय नौसेना की जान
ब्रह्मोस मिसाइल काफी लंबे समय से भारतीय नौसेना का मुख्य हथियार बनी हुई है। 2027 तक जब भारतीय नौसेना अपनी केएच-35, क्लब, एक्सोसेट और हार्पून मिसाइल को हटाकर स्वदेशी मिसाइलों को तैनात करना शुरू करेगी, तब ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ही स्ट्राइक क्षमता को बरकरार रखेगा। राजपूत क्लास के पुराने युद्धपोतों पर ब्रह्मोस मिसाइल अब भी तैनात है। वहीं, विशाखापत्तनम क्लास के आईएनएस इंफाल जैसे जहाजों पर ब्रह्मोस के विस्तारित रेंज वेरिएंट का परीक्षण किया जा रहा है। रेंज में विस्तार से ब्रह्मोस को 500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने की सहूलियत मिलेगी।
ब्रह्मोस एनजी को सभी लड़ाकू विमानों पर तैनात करने की तैयारी
ब्रह्मोस का एक छोटा संस्करण, जिसे ब्रह्मोस एनजी कहा जाता है, उसका भी डेवलपमेंट जारी है। 1,500 किलोग्राम वजनी मिसाइल का पहली बार प्रक्षेपण कुछ महीनों के भीतर होने की उम्मीद है। यह मिसाइल ब्रह्मोस एएलसीएम के विपरीत लड़ाकू विमानों पर तैनात की जाएगी। अभी तक इसे सिर्फ स्पेशली मोडिफाइड सुखोई एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमान पर ही तैनात किया गया है।

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