अतिवृष्टि से हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार है नगर निगम
जयपुर। राजधानी के वाशिंदों को नगर निगम का भरोसा छोड़ देना चाहिए। यदि 14 अगस्त जैसी बारिश दोबारा हो जाती है तो उन्हें यह आस नहीं करनी चाहिए कि नगर निगम उनके जान-माल की रक्षा के लिए आगे आएगा।
यदि किसी के घर में पानी भर गया है, कोई बह गया है, सड़क पर गहरे गड्ढे हो गए हैं, तो उन्हें अपनी सुरक्षा अपने आप करनी होगी, क्योंकि निगम के कंट्रोल रूम पर शिकायत करके भी कुछ नहीं होने वाला है। यह बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं, इसकी हकीकत अब सामने निकल कर आ रही है।
26 अगस्त को नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज के आयुक्तों ने निगम के सभी अधिकारियों के लिए आदेश निकाला है कि निगम के अधिकारियों को अविलंब कार्य संपादन के लिए वायरलैस सेट दिए गए हैं। लेकिन अधिकारी कंट्रोल रूम या उच्चाधिकारियों द्वारा दिए गए मैसेज का जवाब नहीं देते हैं, जो गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।
सोचने वाली बात है कि उच्चाधिकारियों को यह आदेश क्यों देना पड़ा? इस सवाल का जवाब आदेश के दूसरे पैरा में है। दूसरे पैरा में कहा गया है कि ‘गत दिनों कंट्रोल रूम द्वारा अधिकारियों को जरिए वायरलेस सेट कॉल किया गया, लेकिन किसी भी अधिकारी द्वारा जवाब नहीं दिए जाने के कारण आई आपदा पर मिली शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई नहीं हो सकी।’मतलब यह कि जब पूरा शहर पानी में डूब रहा था, उस समय जिम्मेदार अधिकारियों ने कंट्रोल रूम के मैसेज रिसीव करने की भी जहमत नहीं उठाई।
निगम सूत्रों का कहना है कि यह बारिश सुबह के समय आई थी और निगम के ज्यादातर अधिकारी आफत से बचने के लिए अपने घरों से ही नहीं निकले थे। दोपहर में बारिश बंद होने के बाद अधिकारी अपने कार्यालयों में पहुंचे और फिर यहां से फील्ड में निकले। यह आदेश दोनों नगर निगमों के जोन उपायुक्त, अधिशाषी अभियंताओं, सहायक अभियंता, स्वास्थ्य अधिकारी, मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक व कुछ अन्य अधिकारियों को दिए गए हैं।
नगर निगम अधिकारियों की कार्यकुशलता से तो आप अब भलिभंति परिचित हो गए होंगे, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि इस घोर लापरवाही पर कितने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई? आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नगर निगम प्रशासन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में नहीं है, मानो आम जनता उनके लिए कीड़े मकोड़ों के समान है।
निगम प्रशासन सिर्फ दोषी अधिकारियों को चेतावनी देकर छोड़ रहा है कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसी लापरवाही होती है तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों को नोटिस में कहा गया है कि वह वायरलेस पर दिए गए संदेशों का तत्काल जवाब दें, शिकायत का निवारण कर पालना रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इस गंभीर मामले में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए चेतावनी देने के संबंध में जब ग्रेटर के आयुक्त दिनेश कुमार यादव और हेरिटेज के आयुक्त लोकबंधु से जानकारी चाही गई तो वह जवाब देने से बचते रहे।