जयपुर

शहर भाजपा में बगावती सुर, अच्छे कार्यकर्ताओं के टिकट की राह में रोड़े

विधायक-पूर्व विधायकों की मनमानी से नाराज कार्यकर्ता
जयपुर। निकाय चुनावों की तैयारियां शुरू होते ही शहर भाजपा में बगावती सुर सुनने को मिल रहे हैं। कहा जा रहा है कि जयपुर दस के करीब विधायक और पूर्व विधायक कद्दावर कार्यकर्ताओं के टिकट की राह में रोड़े अटकाने में लगे हैं, ताकि तीस वर्षों से जयपुर में चल रही उनकी अघोषित सत्ता बरकरार रह सके।

भाजपा के पूर्व पार्षदों का कहना है कि इन्हीं विधायकों के कारण पिछले बोर्ड में भाजपा दो फाड़ हुई और उनका बोर्ड खत्म हो गया। विधायक और पूर्व विधायक चाहते थे कि पूर्व महापौर अशोक लाहोटी के बाद ऐसे पार्षद को महापौर बनाया जाए, जिसकी राजनैतिक उड़ान ऊंची नहीं हो और वह भविष्य में शहर में उनकी सत्ता को चुनौती नहीं दे सके।

जबकि भाजपा पार्षद विष्णु लाटा को महापौर बनाना चाहते थे। जब पार्षदों की नहीं चली तो लाटा बाड़ेबंदी से फरार हुए और अपना निर्दलीय के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया। कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों ने लाटा को समर्थन दिया, भाजपा पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की और लाटा महापौर बन गए। बाद में लाटा और उनके साथी पार्षदों ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली।

कार्यकर्ता कह रहे हैं कि अब भी यही विधायक और पूर्व विधायक चाहते हैं कि ऐसे पार्षद चुन कर नहीं आएं, जो उनकी सत्ता को चुनौती दे सकें। इसी के लिए पिछले बोर्ड में प्रमुख भाजपा पार्षदों को फिर से टिकट दिए जाने का विरोध हो सकता है। भाजपा की कल की बैठक में भी यही तय किया गया कि दो बार पार्षद बन चुके दावेदारों को टिकट नहीं दिया जाएगा। इसका सीधा अर्थ यही है कि यदि कोई पार्षद तीसरी बार चुन कर आ जाता है तो वह भाजपा के हारे हुए विधायक प्रत्याशी से बड़ा चेहरा हो जाता है।

ऐसे में कहा जा रहा है कि यदि भाजपा विधायकों और पूर्व विधायकों की चली तो शहर में भाजपा के बोर्ड बनने पर शंकाएं खड़ी हो सकती है। कद्दावर कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय लड़कर भाजपा को ही चुनौती दे सकते हैं, क्योंकि शहर में अच्छे कार्यकर्ताओं की राजनीति खत्म करने की कोशिशें लंबे समय से चल रही है और कार्यकर्ता अब इससे पूरी तरह से आगाह हैं। वैसे भी इस बार वार्डों की संख्या बढ़ने और आकार छोटा होने के कारण निर्दलीय प्रत्याशियों का ज्यादा बोलबाला रहेगा, ऐसे में यदि निकाय चुनावों के लिए भाजपा के बड़े चेहरे पाला बदल लें, निर्दलीय खड़े हो जाएं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

मालवीय नगर-विद्याधर नगर पर रखना होगा विशेष फोकस
जानकारों का कहना है कि नगर निगम हैरिटेज में भाजपा का बोर्ड बनना मुश्किल है, लेकिन यदि भाजपा को ग्रेटर में अपना बोर्ड बनाना हे तो मालवीय नगर और विद्याधर नगर विधानसभा पर विशेष फोकस रखना होगा। दोनों क्षेत्रों में भाजपा की आपसी गुटबाजी को खत्म करना होगा। इसके अलावा भी कुछ अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी गुटबाजी देखने को मिल रही है, जो भाजपा को भारी पड़ सकती है। भाजपा को ऐसे कार्यकर्ताओं को टिकट देना होगा, जो लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं और पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं।

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