जयपुर

कौन बनेगा मुख्यमंत्री कंम्पिटिशन के बाद भाजपा के कहीं 2 फाड न हो जाए

जयपुर। राजस्थान भाजपा में सोश्यल मीडिया पर चल रहा कौन बनेगा मुख्यमंत्री कंम्पिटिशन लंबा खिंचता चला जा रहा है। प्रदेश भाजपा के सभी गुटों के प्रमुख नेताओं ने सोश्यल मीडिया पर अपने आप को मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में पेश कर रखा है। ऐसे में आशंकाएं जताई जा रही है कि कांग्रेस में तोडफ़ोड़ के सपने देखनी वाली भाजपा कौन बनेगा मुख्यमंत्री कंम्पिटिशन के बाद खुद दो फाड न हो जाए!

राजनीति के जानकारों कहना है कि भाजपा को देखकर लगता है कि वह दो फाड हो सकती है, क्योंकि राजे गुट का रहस्यमयी मौन सुलह की कोशिशों पर पानी फेरता नजर आ रहा है। कोर कमेटी की बैठक में नहीं आना साबित करता है कि भाजपा की फूट कम नहीं हो रही है।

सरकार को अस्थिर करने के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 1 अगस्त को भाजपा को चेता दिया था कि वह हमारी सरकार तो गिराने चले हैं, लेकिन पहले अपना घर भी संभाल लें। भाजपा के पास प्रदेश में अब ऐसे नेता नहीं है, जो मुख्यमंत्री बन सके। इसी बयान के साथ ही भाजपा में मुख्यमंत्री पद की रेस तेज हो गई थी।

गहलोत ने उस समय कहा था कि वसुंधरा राजे कहां गायब हो गई। उनमें आपस में कंम्पिटिशन चल रहा है कि वसुंधरा का विकल्प कौन बने? प्रदेश भाजपा भी कई धड़ों में बंटी हुई है और इनके नेताओं में कौन बनेगा मुख्यमंत्री कंम्पिटिशन चल रहा है। एक तरह से उन्होंने भाजपा को चेतावनी दे दी है कि यदि वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आई तो यह स्थिति भाजपा में भी पैदा हो सकती है, क्योंकि भाजपा में राजे का कोई विकल्प ही नहीं है।

भाजपा के जो नेता यह कहते नहीं थकते थे कि उनकी पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है, उसी पार्टी में गुटबाजी चरम पर है। हाल यह है कि गुटबाजी को दूर करने के लिए केंद्रीय नेतत्व को दखल देना पड़ गया। स्थितियां इतनी नासाज है कि केंद्र को तुरत-फुरत में कोर कमेटी का गठन करना पड़ गया। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह को राजस्थान भेजना पड़ गया।

अरुण सिंह के बयान ने प्रदेश भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी को साफ कर दिया है। सिंह ने रविवार को कहा कि टीम का अगला चेहरा कौन होगा, यह सोश्यल मीडिया नहीं, बल्कि पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगा। पिछले कुछ समय में विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों में पार्टी ने मुख्यमंत्री के रूप में किसी को प्रोजेक्ट नहीं किया था। राजस्थान में भी यदि गतिरोध बना रहा तो सीएम के रूप में किसी चेहरे को प्रोजेक्ट किए बिना ही विधानसभा चुनाव लड़ा जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि क्लियर न्यूज ने सबसे पहले 14 दिसंबर ‘नए साल से राजस्थान की राजनीति में आएगा उबाल, राजे होंगी एक्टिव, ताकि पार्टी पर पकड़ रहे बरकरार’, 7 जनवरी को ‘गहलोत सरकार गिराने में फेल हुई भाजपा ने बदली रणनीति, अब राजस्थान के 3 दशकों के ट्रेंड को बदलने की कोशिश’, 9 जनवरी को ‘पायलट प्रकरण ने कांग्रेस में गहलोत को पॉवर सेंटर बनाया, क्या भाजपा में राजे बनेंगी एक बार फिर पॉवर सेंटर’, 14 जनवरी को ‘राजस्थान भाजपा में प्यादों से रानी को मात देने की तैयारी’, 19 जनवरी को ‘राजस्थान भाजपा में गुटबाजी के दलदल में ही खिलेगा कमल, मोदी शाह होंगे 2023 विधानसभा चुनावों में भाजपा का चेहरा’ खबरें प्रकाशित कर प्रदेश भाजपा में चल रही गुटबाजी को उजागर किया था और इन्हीं खबरों के बाद कोर कमेटी का गठन किया गया और अरुण सिंह को राजस्थान भेजा गया।

कोर कमेटी में सभी गुटों को प्रतिनिधित्व दिए जाने के बावजूद इसके भविष्य पर संक्षय बना हुआ है। क्लियर न्यूज ने पहले ही बता दिया था कि राजे गुट आसानी से केंद्र के ट्रेप में फंसने वाला नहीं है और उसने चुप्पी साध रखी है। हुआ भी यही कि कोर कमेटी की पहली बैठक में अनुपस्थित रही। उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है। इसी खबर में बताया गया था कि राजस्थान में स्थानीय स्तर पर किसी चेहरे को आगे नहीं किया जाएगा और मुख्यमंत्री का फैंसला केंद्रीय नेतृतव लेगा। राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह के बयान से इस खबर की सत्यता पर मुहर लग गई है।

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