जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को विधानसभा में विपक्ष के उठाए मुद्दों के साथ भाजपा की धार्मिक ध्रुविकरण की राजनीति पर प्रहार किया और उसे बिना विचारधारा वाली पार्टी बताया। गहलोत ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष महोदय से हमें बार-बार जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के बारे में सुनना पड़ता है। आजादी के पहले जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल ने सैक्रिफाइस किए। उस समय जंग लड़ी गई और उसके बाद 50-60 साल तक कांग्रेस का एकछत्र राज रहा। इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। राजीव गांधी शहीद हो गए।
आपकी पार्टी सत्ता में आई है तो वह विचारधारा के आधार पर तो आई नहीं है, राम मंदिर, राम मंदिर, राम मंदिर के नाम पर आई है। बचपन से सुनता था गौ माता का नाम लेकर आप आंदोलन करते थे। आप सिर्फ नाम लेते हो, हम काम करते हैं, आपने नाम लिया गौमाता का राजनीति करने के लिए, हमने गौ माता को गौ माता समझा और पहली बार हमने गौशालाओं को अनुदान देने का काम किया, निदेशालय बनाया। हम राजनीति नहीं करते, हमने हिन्दुओं की भावनाओं का मान-सम्मान किया।
आपके बहुत बड़े नेता श्यामाप्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय थे। दीनदयाल उपाध्याय का फ्रीडम मूवमेंट से कोई वास्ता नहीं था, न आपका है और न जनसंघ और न बीजेपी का। फ्रीडम मूवमेंट से वास्ता आपका है नहीं फिर आप किसके नाम से योजनाएं लाएंगे, हम लाते हैं तो फिर आपके पेट में दर्द क्यों होता है? हम जिनके नाम पर योजनाएं लाते हैं, उससे आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा मिलती है। क्या प्रधानमंत्री मोदी ने छह वर्ष में जवाहरलाल नेहरू का नाम लिया। क्या इंदिरा गांधी के योगदान का याद किया। वह भूल से भी इनका नाम नहीं लेते हैं।
जवाहरलाल नेहरू 17 साल आजादी के आंदोलन में जेल में रहे। वीर सावरकर तो 6 बार माफी मांगकर बाहर आए। हिंदुत्व के नाम पर सत्ता में आना आसान काम है।
गहलोत ने केंद्र और पीएम मोदी पर भी जमकर प्रहार किए। गहलोत ने कहा- देश में आज भय का वातावरण है। लोग फोन पर बात करने से डरते हैं। किसी से बात करें तो वह कहता है कि फोन काटकर फेसटाइम या अन्य मीडियम से बात कर लीजिए। सामाजिक कायज़्कताज़् गिरफ्तार किए जा रहे हैं। जिस देश में यह माहौल हो, लोग डर रहे हों वहां क्या कहा जा सकता है? बता दें कि फेसटाइम एपल मोबाइल का एक फीचर है।
कोरोना के लिए भाजपा जिम्मेदार
गहलोत ने कहा कि गुजरात में राज्यसभा चुनाव थे, वहां एक सीट कांग्रेस जीतती और एक बीजेपी। लेकिन दो सीटों पर चुनाव के लिए अलग-अलग तारीख तय की गई। ताकि दोनों सीट बीजेपी जीते। गुजरात में हॉर्स ट्रेडिंग पूरी नहीं हुई थी। इसलिए दो दिन पहले चुनाव आयोग ने कोरोना का हवाला देकर चुनाव पोस्टपोंड कर दिया। एक दिन पहले शिवराज चौहान का मुख्यमंत्री बनने पर जुलूस निकला तब कोरोना नहीं था, लेकिन राज्यसभा चुनाव के वक्त कोरोना हो गया। राजस्थान सरकार ने सबको साथ लेकर कोरोना में शानदार काम किया। हमारे मॉडल पूरे विश्व में सराहे गए।
राज्यपाल दबाव में 3 कृषि बिल राष्ट्रपति के पास नहीं भेज रहे
गहलोत ने कहा कि किसान आंदोलन कर रहे हैं। उनकी कोई सुनवाई ही नहीं कर रहा है। हमने तीन कानून पास किए, वे राज्यपाल के पास लंबित पड़े हैं। हम चार कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा लेकिन वक्त नहीं मिला। हमने पांच एकड़ तक किसान की जमीन कुर्क से मुक्त करने का भी बिल पास किया, उसे भी राज्यपाल दबाव में राष्ट्रपति के पास नहीं भेज पा रहे हैं।
किसान कर्ज माफी का वादा निभाया
किसान कर्ज माफी पर हमने वादा निभाया। हमारे राज्य में सहकारी बैंकों के पूरे कर्ज माफ किए। राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए हमने शुरू से प्रधानमंत्री को चिठ्ठी लिखी कि वन टाइम सेटलमेेंट करवा दीजिए। जब बैंकों ने बड़े बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ हो सकते हैं तो किसानों के क्यों नहीं?
पेट्रोल-डीजल के लिए केंद्र जिम्मेदार
गहलोत ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमत ज्यादा है तो केंद्र जिम्मेदार है। हम कम करेंगे तो हमारा रेवेन्यू कम हो जाएगा। हमने वैट दो फीसदी कम करने कर प्रयास किया। अभी हमने दो फीसदी वैट कम किया तो 1000 करोड़ का भार पड़ा है। यूपीए राज में कच्चे तेल की रेट 135 डॉलर पर बैरल थी जबकि आज 40 डॉलर प्रति बैरल है, फिर भी रेट बढ़ती जा रही है। केंद्र सरकार ने एक्साइज डृयूटी बढ़ा दी है, केंद्र ने डीजल पेट्रोल पर वह सब डृयूटी बढ़ा दी जिनका राज्यों को हिस्सा नहीं मिलता।
ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने में साथ दीजिए
गहलोत ने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट यानी ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने के लिए बीजेपी विधायकों से सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का वादा प्रधानमंत्री दो बार कर चुके हैं। ईआरसीपी 12 जिलों में पानी पहुंचाने की परियोजना है। इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलना जरूरी है। मैं बीजेपी के विधायकों के साथ प्रधानमंत्री से मिलने जाने को तैयार हूं। ईआरसीपी पर प्लीज मेरा साथ दीजिए।