जयपुर

कस्तूरबा जयंती के अवसर पर गांधी दर्शन एवं महिला सशक्तीकरण पर नई महिला नीति 2021 महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध भाव से काम कर रही है। उन्हें हर क्षेत्र में समान दर्जा दिलाने के लिए हमारी सरकार विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ महिला शिक्षा को बढ़ावा दे रही है। नई राज्य महिला नीति-2021 इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

गहलोत राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150वीं जयन्ती वर्ष तथा स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के तहत आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार को कस्तूरबा जयन्ती के अवसर पर मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ‘गांधी दर्शन एवं महिला सशक्तीकरण‘ विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कस्तूरबा महिला सशक्तीकरण की अनूठी मिसाल थीं। उनके जन्म दिवस पर राज्य सरकार द्वारा जारी महिला नीति से प्रदेश की करोड़ों महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि एक शिक्षित महिला पूरे परिवार की तरक्की का आधार होती है। गांव-ढाणी तक महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हमने इस बजट में घोषणा की है कि जिस स्कूल की उच्च माध्यमिक कक्षाओं में 500 से अधिक छात्राएं होंगी, वहां महिला महाविद्यालय खोला जाएगा। इसके साथ ही विगत दो वर्षों में कई महिला महाविद्यालय खोले गए हैं।

श्री गहलोत ने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने पर भी हमारा फोकस है। सरकार के साथ-साथ समाज को भी इस दिशा में आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि हमने महिला स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से निशुल्क सेनेटरी नेपकिन वितरण कार्यक्रम की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षित महिलाएं और स्वयं सेवी संस्थाएं महिलाओं को सेनेटरी नेपकिन के उपयोग के प्रति जागरूक करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद हमारे महान संविधान निर्माताओं ने महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए संविधान के माध्यम से मतदान का अधिकार दिया। बाद में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने संविधान संशोधन के माध्यम से महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित की। इससे महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया और आज वे आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से सशक्त हुई हैं।

गहलोत ने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए घूंघट प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करना जरूरी है। राजस्थान में हमारी सरकार ने इस बुराई को समाप्त करने के लिए अभियान चलाया है। उन्होंने अपील की कि स्वयं सेवी संस्थाएं, सोशल एक्टिविस्ट एवं प्रबुद्धजन इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएं। 

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में प्रदेश में महिला सशक्तीकरण की दिशा में अभूतपूर्व काम हो रहा है। इंदिरा महिला शक्ति निधि योजना, निशुल्क सेनेटरी नेपकिन वितरण जैसी योजनाएं महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में बड़े कदम हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में लिंगानुपात बेहतर करने के लिए प्रयासरत है। राज्य की पहली महिला नीति भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल में जारी की गई थी और अब नई नीति जारी की गई है। इसमें महिलाओं के उत्थान के लिए कई अहम प्रावधान किए गए हैं।  

गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद के पूर्व वाइस चांसलर तथा गांधीवादी विचारक प्रो. सुदर्शन अयंगर ने कहा कि कस्तूरबा चारित्रिक दृढ़ता के मामले में कहीं भी बापू से पीछे नहीं रहीं। उन्होेंने महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए राष्ट्रीय आंदोलनों में भागीदारी निभाई। पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्वों के निर्वहन का जो उदाहरण उन्होंने पेश किया वह हम सबके लिए प्रेरणादायी है। 

इंदिरा महिला शक्ति पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता आशा बोथरा ने कहा कि कस्तूरबा सह अस्तित्व और सशक्तीकरण की प्रतीक हैं। देश की आजादी और सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में उनके योगदान से अन्य महिलाएं भी प्रेरित हुई।

नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित बाड़मेर की हस्तशिल्प कलाकार रूमा देवी ने कहा कि गांधी जी स्वरोजगार को बढ़ावा देना चाहते थे। वे महिला और पुरूष समानता के पक्षधर थे। उनके सपनों को साकार करने की दिशा में महिलाओं को अधिक से अधिक स्वरोजगार से जुड़ना चाहिए। प्रमुख शासन सचिव महिला एवं बाल विकास श्रेया गुहा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए नई राज्य महिला नीति के बारे में जानकारी दी। शांति एवं अहिंसा प्रकोष्ठ के संयोजक मनीष शर्मा ने गांधीवादी चिंतन एवं दर्शन को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रकोष्ठ द्वारा की जा रही गतिविधियों की जानकारी देते हुए आभार व्यक्त किया।

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