डीएपी आपूर्ति बढ़ाने के लिए हर स्तर पर पुरजोर प्रयास, मुख्यमंत्री गहलोत ने की विद्युत और डीएपी आपूर्ति की समीक्षा
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार शाम को प्रदेश में विद्युत एवं डीएपी आपूर्ति की समीक्षा की। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार (government) कोयला आपूर्ति (coal supply) की देशव्यापी कमी एवं डीएपी की समय पर आपूर्ति को लेकर चिंतित है। केंद्र सरकार पर इनकी आपूर्ति बढ़ाने के लिए राज्य सरकार पूरा दबाव बनाए हुए है।
गहलोत ने कहा कि प्रदेश में बिजली की सुचारु आपूर्ति के लिए हर स्तर पर बेहतरीन प्रबंधन किया जा रहा है। कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अधिकारियों को सिंगरौली एवं बिलासपुर में तैनात किया गया है। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों अतिरिक्त मुख्य सचिव, ऊर्जा एवं प्रमुख सचिव कृषि को दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय के लिए भेजा गया है।
कोयले के भुगतान को लेकर कोई देरी नहीं
बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार कोल इण्डिया लिमिटेड एवं उसकी सहयोगी कंपनियों एनसीएल एवं एसईसीएल को कोयले की आपूर्ति के लिए अग्रिम भुगतान (advance payment) सुनिश्चित कर रही है। भुगतान को लेकर किसी स्तर पर कोई देरी या ढिलाई नहीं है। राजस्थान विद्युत उत्पादन लिमिटेड (आरवीयूएनएल) ने नेशनल कोलफील्ड्स लि. (एनसीएल) को सम्पूर्ण बकाया 393 करोड़ रुपए का भुगतान अगस्त, 2021 में ही कर दिया है।
इसके बाद सितम्बर 2021 से फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट के तहत अब कंपनी को नियमित रूप से कोयले की आपूर्ति का अग्रिम भुगतान किया जा रहा है। एनसीएल को 1 सितम्बर से 8 अक्टूबर तक 228 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया गया है।
इसी प्रकार एसईसीएल के बकाया 50 करोड़ रुपए को कालीसिंध थर्मल में निर्धारित मात्रा से कम कोयले की आपूर्ति पर रिकॉन्सिलिएशन की प्रक्रिया के तहत जुलाई 2021 में समायोजित किया जा चुका है। साथ ही, 135 करोड़ रुपए के बकाया का भुगतान इसी साल अगस्त माह में कर दिया गया है। इसके बाद से एसईसीएल को भी अग्रिम भुगतान सितम्बर 2021 से प्रारंभ कर दिया गया है। कंपनी को 6 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक करीब 92 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया गया है।
हालांकि बीते माह की 27 तारीख को एसईसीएल ने एक पत्र के माध्यम से 277.61 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया होने की जानकारी दी है। जबकि राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड का वर्ष 2018 से वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के तहत एसईसीएल पर 459 करोड़ रुपए के दावे का भुगतान अब तक लंबित चल रहा है।
साढ़े चार लाख मैट्रिक टन के विरुद्ध 3.07 लाख मैट्रिक टन की ही आपूर्ति
बैठक में बताया गया कि इस साल आयात कम होने से पूरे देश में ही डीएपी की मांग एवं आपूर्ति में अंतर बढ़ गया है, जिससे अन्य राज्यों के साथ ही राजस्थान (Rajasthan) भी प्रभावित हुआ है। केन्द्र सरकार ने राज्य में इस साल अप्रेल से सितम्बर माह के दौरान 4.50 लाख मैट्रिक टन मांग के विरुद्ध 3.07 लाख मैट्रिक टन डीएपी की ही आपूर्ति की। साथ ही अक्टूबर महीने में 1.50 लाख मैट्रिक टन मांग के विरुद्ध 68 हजार मैट्रिक टन डीएपी स्वीकृत की है। इससे राज्य में डीएपी की कमी हो गई है।
राज्य सरकार डीएपी की आपूर्ति में सुधार के लिए लगातार प्रयास कर रही है। कृषि मंत्री और कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अधिकारियों से दैनिक संपर्क बनाए हुए हैं और डीएपी आपूर्ति में सुधार के लिए प्रयास कर रहे हैं।
एसएसपी के उपयोग के लिए किसानों को कर रहे जागरूक
कृषि विभाग किसानों को वैकल्पिक फॉस्फेटिक उर्वरक सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) एवं एनपीके का उपयोग करने की सलाह दे रहा है, ताकि डीएपी की कमी से संभावित नुकसान से बचा जा सके। एसएसपी एक फॉस्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें 16 प्रतिशत फॉस्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पाई जाती है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है।