जयपुर

राजस्थान (Rajasthan) मंत्रिमंडल फेरबदल में पर्यटन और पुरातत्व विभाग (tourism and archeology department) के एक मंत्री की संभावना

अभी पर्यटन विभाग का जिम्मा डोटासरा के पास, तो पुरातत्व विभाग का जिम्मा संभाल रहे हैं कल्ला

जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में पर्यटन और पुरातत्व विभाग (tourism and archeology department) को फिर से एक किया जा सकता है। संभावनाएं जताई जा रही है कि मंत्रीमंडल फेरबदल में इन दोनों विभागों का जिम्मा किसी एक मंत्री को सौंपा जा सकता है, क्योंकि दोनों विभागों में कार्य की प्रकृति एक समान है। अभी पर्यटन मंत्री का जिम्मा सरकार ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को सौंप रखा है। वहीं पुरातत्व विभाग का जिम्मा ऊर्जा और जलदाय मंत्री बीडी कल्ला संभाल रहे हैं।

पुरातत्व विभाग के सूत्रों का कहना है कि हाल ही में सरकार की ओर से जो प्रशासनिक फेरबदल किया गया है, उसमें पुरातत्व विभाग के निदेशक प्रकाश शर्मा को उनके पद से हटाया गया है। वहीं शासन सचिव मुग्धा सिन्हा से भी कला संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग का जिम्मा लिया गया है। सिन्हा की जय जिम्मेदारी पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ को सौंपी गई है। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि सरकार मंत्रीमंडल फेरबदल के दौरान पर्यटन और पुरातत्व विभाग का जिम्मा किसी एक मंत्री को ही सौंप सकते हैं।

राठौड़ हुई पॉवरफुल

सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक फेरबदल के बाद पर्यटन सचिव गायत्री राठौड़ पहले से ज्यादा पॉवरफुल हो गई हैं। उनके पास पर्यटन विभाग के प्रमुख शासन सचिव, आरटीडीसी के चेयरमैन के साथ कला संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, सीईओ आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण और महानिदेशक जवाहर कला केंद्र का भी प्रभार आ गया है। राठौड़ पूर्व सरकार में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सचिव रह चुकी हैं।

पहले एक ही होता था मंत्री

सूत्रों का कहना है कि पुराने समय में शिक्षा विभाग में ही पुरातत्व विभाग सम्मिलित था। अस्सी के दशक में सरकार ने शिक्षा विभाग के टुकड़े करके कला संस्कृति एवं पुरातत्व के लिए अलग से विभाग बना दिया। तभी से पर्यटन और पुरातत्व विभाग एक ही मंत्री के अधीन आते थे। दोनों विभागों का प्रमुख शासन सचिव भी एक ही होता था, लेकिन इस बार सरकार ने दोनों विभागों के अलग-अलग मंत्री बना दिए थे। ऐसे में हो सकता है कि अब सरकार फिर से दोनों विभागों को एक मंत्री के अधीन लाने की कोशिश में हो, ताकि प्रदेश में पुरातत्व के साथ जोड़कर पर्यटन का बेहतर विकास किया जा सके।

एक कारण यह भी

सूत्रों का कहना है कि पुराने समय में पर्यटन और पुरातत्व विभाग के मंत्री हों या अधिकारी दोनों के पास ही कोई विशेष कार्य नहीं होता था। हाल यह था कि दोनों विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों के पास दिनभर का समय पास करना बड़ी समस्या होती थी। इसीलिए कला संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग बनाने के साथ ही इसे पर्यटन विभाग के साथ जोड़ दिया गया। वर्तमान में भी इन दोनों विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों के पास कोई विशेष कार्य नहीं है। ऐसे में शायद सरकार दोनों विभागों को फिर से एक करने की कवायद में है।

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